चारा घोटाला मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5 लाख रुपये का जुर्माना
रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू यादव समेत 16 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है और 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू याद समेत 16 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा दी है। साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। लालू यादव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुनाया गया। इस मामले में कोर्ट ने 23 दिसंबर, 2017 को लालू यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था।
कोर्ट से सजा पर फैसला आने के बाद लालू यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव ने कहा, “हमें विश्वास है कि लालू यादव को जमानत मिल जाएगी। हमें न्यायतंत्र में पूरा भरोसा है।”
लालू यादव की सजा के ऐलान से पहले उनके बेटे तेजस्वी यादव ने कहा, “हमने बहुत लड़ाइयां लड़ी हैं, और यह लड़ाई भी लड़ेंगे। हम डर कर अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटने वाले।”
तेजस्वी यादव ने जेल से लिखी गई लालू यादव की चिट्ठी भी पढ़ी और कहा कि उन्होंने बिहारवासियों के लिए संदेश दिया है, जिसे हर शख्स तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि चाहे विरोधी कितनी भी फूट डाल लें, हमारी पार्टी एकजुट रहेगी और हम ज्यादा ताकतवर होंगे। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर वे जनता के बीच जाएंगे।
क्या है चारा घोटाला मामला
संयुक्त बिहार का चर्चित चारा घोटाला सरकारी खजाने से 900 करोड़ रुपए को गलत तरीके से निकालने का है। पशुपालन विभाग से जुड़े इस घोटाले में विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ अवैध तरीके से अलग-अलग कोषागारों से रुपये की निकासी की गई थी और जांच के बाद यह घोटाला सामने आया। शुरुआत छोटे-मोटे मामलों के खुलासे से शुरू होते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक जा पहुंची। मामला बढ़ते-बढ़ते 900 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा।1994 में गुमला, रांची, पटना, डोरंडा और लोहरदग्गा समेत कई जिला कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपए की कथित अवैध निकासी का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सरकारी कोषागार और पशुपालन विभाग के कई कर्मचारियों, ठेकेदारों और सप्लायरों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद इस मामले में अलग अलग जिलों में करीब दर्जन भर आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इसके कुछ दिनों बाद घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई जांच में सामने आया कि पशुओं के चारे, दवा आदि की सप्लाई के नाम पर अधिकारियों ने वर्षों तक कोषागारों से करोड़ों रुपए के फर्जी बिल भुनाए।
सीबीआई ने कहा था कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री को न सिर्फ इस मामले की पूरी जानकारी थी बल्कि उन्होंने खुद राज्य के वित्त मंत्रालय के प्रभारी के रूप में कई बार इन निकासियों की अनुमति दी थी। सीबीआई जांच शुरू होने के बाद चारा घोटाला मामले में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं और छापे पड़े। सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और जेल जाना पड़ा। बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी।
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Published: 06 Jan 2018, 4:35 PM