कठुवा-उन्नाव रेपः बीजेपी की महिला नेताओं ने दिखाई बौखलाहट, मीनाक्षी लेखी ने की सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

कठुवा और उन्नाव रेप के खिलाफ 12 अप्रैल की रात को इंडिया गेट पर राहुल गांधी के कैंडल मार्च से बैकफुट पर आई बीजेपी बौखलाई नजर आ रही है। सफाई के बजाय बीजेपी ने विपक्ष और मीडिया पर हमला करने की कोशिश की।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची और यूपी के उन्नाव में एक नाबालिग युवती के साथ हुए गैंगरेप मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सफाई दी है। लेकिन इस सफाई में भी बीजेपी की खिजलाहट और हताशा साफ नजर आई। बीजेपी ने इस काम के लिए महिला सांसद मीनाक्षी लेखी को चूना, जिन्होंने मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए जमकर राजनीतिक बयानबाजी की और अपनी व पार्टी की हताशा का प्रदर्शन किया। वहीं, बीजेपी की तरफ से बचाव के लिए दूसरा मोर्चा भी महिला नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संभाला। दोनों घटनाओं पर इतने दिनों तक चुप्पी साधे रखने के बाद ईरानी ने भी जब बोला तो घटना की संवेदनशीलता और पीड़िताओं के दर्द को दरकिनार करते हुए विपक्ष पर हमला किया।

आधी रात को राहुल गांधी के कैंडल मार्च में उमड़ी भीड़ से बौखलाई मीनाक्षी लेखी ने अपना आपा खोते हुए कहा, “आप उनका प्लान देखिये, पहले ‘अल्पसंख्यक, अल्पसंख्यक’ चिल्लाओ, फिर ‘दलित दलित’ और अब ‘महिला, महिला’ का शोर मचाओ और किसी तरह राज्यों की घटना की जिम्मेदारी केंद्र के ऊपर डालने की कोशिश की जा रही है।”

सफाई के लिए किए गए प्रेस कॉंफ्रेंस में रेप पीड़िताओं को न्याय मिलने में हो रही देरी, आरोपियों को सत्ताधारी बीजेपी नेताओं द्वारा बचाने की कोशिशों पर एक भी शब्द बोले बिना, उन्होंने पूरे मामले के लिए विपक्ष और मीडिया पर हमला बोलते हुए दोनों घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। उन्होंने मीडिया पर इन दोनों घटनाओं की बेजा रिपोर्टिंग का आरोप लगाया और कठुआ मामले में कांग्रेस को घसीटने की कोशिश की। लेखी यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने असम में एक बच्ची से रेप की घटना से इन दोनों घटनाओं की तुलना करने की कोशिश की। और इस कवायद में वो ये भी भूल गईं कि असम में भी उनकी ही पार्टी बीजेपी की सरकार है।

प्रेस कॉंफ्रेंस में मीनाक्षी लेखी ने उन्नाव मामले में अपनी पार्टी के विधायक को एक बार फिर बचाने की भरपूर कोशिश की। लेखी ने इस मामले को निजी रंजिश का मामला बताया। लेखी ने कहा, “उन्नाव की घटना करीब 10 महीने पहले की है। 11 जून 2017 को पीड़िता गायब हुई। पीड़िता के परिवार ने शुभम और अवधेश नाम के दो लोगों पर केस किया। 21 जून को वह घर लौट आई। 22 जून को पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज कराया। जिसमें उसने विधायक का नाम नहीं लिया।” उन्होंने आगे कहा, “जून-जुलाई के बीच पीड़िता ने पीएम और आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर विधायक सेंगर पर रेप का आरोप लगाया। जिसपर पीएमओ ऐक्शन में आया और कार्रवाई हुई।”

जम्मू के कठुवा मामले को लेकर भी लेखी ने विपक्ष पर आरोप लगाए और कहा कि 'कठुआ मामले की सही से जांच हुई है। केस तुरंत क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। 6-7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में एसआईटी का गठन किया गया है।' लेखी ने जम्मू बार असोसिएशन के अध्यक्ष बीएस सलाथिया के बहाने इस मामले में कांग्रेस को घसीटने की कोशिश करते हुए कहा कि “बार असोसिएशन के अध्यक्ष सलाथिया कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के पोलिंग एजेंट रह चुके हैं।' उन्होंने कहा कि अब आप देख लीजिए कैसी राजनीति हो रही है। उन्होंने बीजेपी के मंत्रियों द्वारा आरोपियों का समर्थन करने की बात पर लोगों द्वारा अपने मंत्रियों को गुमराह किये जाने की बात कही। साथ ही उन्होंने दावा भी किया कि कठुआ पर बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने एक अप्रैल को ही बयान जारी कर अपराधियों पर कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन मीडिया ने जानबूझकर इसे नहीं दिखाया।

मीनाक्षी लेखी ने इन दोनों मामलों की तुलना असम की एक घटना से करते हुए कहा कि उन्नाव वाला केस 10 महीने पुराना है, कठुआ का केस जनवरी का है, लेकिन अप्रैल में असम में भी एक ऐसी ही घटना हुई थी। लेखी ने विपक्ष पर कठुवा और उन्नाव मामले का सांप्रदायिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें जांच पूरी होने तक प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था।

लेकिन खुद लेखी ने प्रेस कॉंफ्रेंस के दौरान असम की एक घटना के बहाने इन घटनाओं के सांप्रदायिकरण की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने जानबूझकर असम की घटना के आरोपी शख्स का नाम लिया। उन्होंने कहा, “असम में पांचवीं क्लास की 12 साल की छात्रा से रेप हुआ, उसे किरासन तेल डालकर जला दिया गया। इस घटना में शामिल शख्स 21 साल का जाकिर हुसैन था।”

वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी इन घटनाओं पर अपनी चुप्पी तोड़ी, लेकिन अमेठी पहुंचकर। कठुवा और उन्नाव रेप केस के खिलाफ कांग्रेस के कैंडल मार्च पर बोलते हुए ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी पहले गायत्री प्रजापति के समर्थन में खडे हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “इस समय इस मुद्दे पर आवाज उठाना उनकी मजबूरी है, क्योंकि अमेठी को सच्चाई पता है।

हालांकि, स्मृति ईरानी एक दिन पहले तक इन दोनों घटनाओं पर दिल्ली में पत्रकारों के सवालों पर बचती नजर आ रही थीं। 12 अप्रैल को दिन में एक न्यूज चैनल की रिपोर्टर द्वारा बार-बार प्रतिक्रिया मांगे जाने पर भी ईरानी भागती नजर आईं। पत्रकार द्वारा महिला होने के नाते जवाब मांगे जाने पर ईरानी ने चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा।

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