2018 में पत्रकारों की हत्याओं की घटनाएं बढ़ी, पांचवां सबसे खतरनाक देश बना भारत, अफगानिस्तान नंबर वन: रिपोर्ट
18 दिसंबर को जारी हुई रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी और स्लोवाकिया के डाटा जर्नलिस्ट यान कुसिएक की हत्या दर्शाती है कि प्रेस की आजादी के दुश्मन किस हद तक जा सकते हैं।
2018 के 11 महीनों में दुनिया भर में 80 पत्रकार की हत्या हुई है। यह खुलासा रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 348 पत्रकारों को जेल में बंद किया गया और जबकि 60 से ज्यादा को बंधक बनाया गया। वहीं तीन पत्रकार अब भी लापता हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन 80 पत्रकारों की हत्या की गई है उनमें से 63 पेशेवर पत्रकार थे। इन आंकड़ों के आधार पर बताया गया है कि इस साल पूरी दुनिया में पत्रकारों की हत्या में बढ़ोतरी हुई है।
18 दिसंबर को जारी हुई आरएसएफ की रिपोर्ट में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी और स्लोवाकिया के डाटा जर्नलिस्ट यान कुसिएक की हत्या दर्शाती है कि प्रेस की आजादी के दुश्मन किस हद तक जा सकते हैं। रिपोर्ट के आधार पर पूरी दुनिया में अफगानिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देश है। जबकि भारत की बात करे तो पत्रकारों के लिए पांचवां सबसे बुरा देश साबित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में अफगानिस्तान में इस साल 15 पत्रकार मारे गए हैं। सीरिया में 11, मैक्सिको में 9, यमन में 8 और भारत और अमेरिका में 6-6 पत्रकार मारे गए हैं।
आरएसएफ ने रिपोर्ट के साथ एक बयान जारी करते हुए कहा, “पत्रकारों के खिलाफ हिंसा इस साल अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुकी है और अब स्थिति गंभीर है। इसके लिए राजनेताओं, धार्मिक नेताओं और कारोबारियों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। भारत, अमेरिका और मेक्सिको जैसे युद्ध न झेलने वाले देश भी पत्रकारों के लिए जोखिम भरे बने हुए हैं।”
भारत में ही खुद बिहार में 25 मार्च को दो पत्रकारों की एसयूवी से कुचलकर हत्या कर दी गई। इसमें गांव के मुखिया पर हत्या का आरोप लगा था, उसी दिन मध्य प्रदेश रेत माफिया पर स्टोरी कर रहे एक पत्रकार की ट्रक से कुचलकर मौत हो गई।
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