सुप्रीम कोर्ट ने जय शाह-द वायर मामले में प्रेस की स्वतंत्रता को बताया सर्वोपरि, पोर्टल को अपील वापस लेने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज पोर्टल द वायर और उसकी टीम को गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दी है। इस याचिका में न्यूज पोर्टल के वेबसाइट पर प्रकाशित लेख के खिलाफ जय शाह द्वारा गुजराज हाईकोर्ट में दायर मानहानि के मामले में अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी।
देश में चल रही पत्रकारिता की प्रकृति को लेकर असंतोष व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को न्यूज पोर्टल द वायर और उसकी टीम को गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की अनुमति दी है। इस याचिका में न्यूज पोर्टल के वेबसाइट पर प्रकाशित लेख के खिलाफ जय शाह द्वारा गुजराज हाईकोर्ट में दायर मानहानि के मामले में अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई थी। जय शाह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं। उन्होंने वेबसाइट के खिलाफ मानहानि की कार्रवाई की मांग की थी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने यह भी आदेश दिया कि वेबसाइट के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई को सक्षम अदालत द्वारा शीध्र ही पूरा किया जाए।
अदालत में इसकी सुनवाई के दौरान गरमागर्म बहस देखी गई। न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूछा, "यह किसी के साथ भी हो सकता है (लेख का हवाला देते हुए)। हम पीड़ित हो रहे हैं और यह संस्थान (अदालत) पीड़ित हो रही है। वास्तव में यह संस्थान इससे पीड़ित है। यह भारत में किस तरह की संस्कृति विकसित हो गई है (पत्रकारिता को लेकर)?"
इस पीठ में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई भी शामिल थे, जिन्होंने पोर्टल की तरफ से वकील कपिल सिब्बल के जिरह को सुना। उन्होंने अपने मुवक्किल की तरफ से अपील वापस लेने की मांग की। इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, "क्यों नहीं हम इस पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें और मामले को निपटाएं। हम इस मामले में योग्यता के आधार पर फैसला करना चाहते हैं।"
महाधिवक्ता तुषार मेहता अदालत में मौजूद थे। अदालत ने उसने पूछा कि यह क्या है कि रात में नोटिस भेजकर जवाब मांगा जाता है और सुबह लेख छप जाता है। अदालत उन घटनाओं का हवाला दे रही थी कि किसी व्यक्ति से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा जाता है, और जवाब आने से पहले ही एक आलेख प्रकाशित हो जाता है, जो तकनीकी तौर पर दूसरे पक्ष को मामले पर अपना जवाब दाखिल करने से इंकार कर देता है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "यह कैसी पत्रकारिता है?"
सिब्बल ने कहा कि पत्रकारिता की आजादी कायम रहनी चाहिए। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह एकतरफा नहीं हो सकता।
सिब्बल ने कहा, "क्या पीठ में शामिल न्यायाधीशों ने टीवी न्यूज देखी है?" न्यायमूर्ति मिश्रा ने ना में जवाब दिया। उसके बाद सिब्बल ने कहा कि आपको जरूर देखना चाहिए।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "पीत पत्रकारिता नहीं होनी चाहिए।"
इसके बाद जय शाह की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि अपील बिना शर्त वापस लिया जाना चाहिए।
'द वायर' द्वारा जारी बयान में कहा गया, "ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं, जिसके तहत हम मानते हैं कि लेख में कही गई बातों को हमें इस मामले की सुनवाई के दौरान सही ठहराने का अवसर मिलेगा। इसलिए हम याचिका वापस ले रहे हैं। हमारा मानना है कि मीडिया की आजादी की लड़ाई सभी स्तरों पर जारी रहनी चाहिए।"
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