देश दुनिया में JNU का डंका, सवाल उठाने वालों पर छात्रों का तंज, कहा- यहां करदाताओं के पैसे व्यर्थ नहीं किए जाते
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम अक्सर विवादों में घसीटने की कोशिश की जाती रही है लेकिन इसका जवाब जेएनयू के छात्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कामयाबी से दे रहे हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम अक्सर विवादों में घसीटने की कोशिश की जाती रही है लेकिन इसका जवाब जेएनयू के छात्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी कामयाबी से दे रहे हैं। बीते दिनों जेएनयू के छात्रों ने विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाए हैं। इनमें हिंदी का बुकर पुरस्कार, कांन्स फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार, यूपीएससी टॉपर समेत जेएनयू की एक मौजूदा छात्रा का यूपीएससी में शानदार प्रदर्शन शामिल है। जेएनयू से जुड़े कई छात्रों का कहना है कि यह उन लोगों को एक जवाब है जो अक्सर कहते हैं कि करदाताओं के पैसे जेएनयू के छात्रों पर व्यर्थ किए जाते हैं। गौरतलब है कि जेएनयू एनआईआरएफ रैंकिंग के मुताबिक देश का दूसरा सबसे शानदार विश्वविद्यालय है। जेएनयू से पढ़ाई करने वाली लेखिका गीतांजलिश्री को उनके उपन्यास पर 2022 का बुकर पुरस्कार मिला है। जेएनयू के ही पूर्व छात्र शौनक सेन विश्व के सबसे सम्मानजनक फिल्म उत्सवों में से एक कांन्स फिल्म फेस्टिवल में अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ऑल दैट ब्रीथ्स' के लिए 'द गोल्डन आइ अवॉर्ड' जीतकर देश का नाम दुनिया में रोशन किया। वहीं पूर्व छात्रा श्रुति शर्मा ने यूपीएससी में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। जैसमिन नामक 26 वर्षीय एक अन्य छात्रा जो जेएनयू से पीएचडी कर रही है उसने पढ़ाई के साथ साथ यूपीएससी जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा न केवल पास की बल्कि देश भर में 36वां स्थान भी हासिल किया है।
इन चारों में एक समानता यह है कि ये जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र हैं। विश्वविद्यालय भी अपने छात्रों की इस कामयाबी से जेएनयू भी गौरवांवित है। विश्वविद्यालय ने अपने इन सभी मौजूदा एवं पूर्व छात्रों को बधाई देते हुए शानदार प्रदर्शन के लिए उनकी सराहना की है।
जैसमिन जेएनयू में पीएचडी अंतिम वर्ष की छात्रा है। इससे पहले उन्होंने जेएनयू से सोशियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन भी की है। जैसमिन को पीएचडी के लिए जेआरएफ भी मिली हुई है। जेएनयू की वीसी प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने यूपीएससी परीक्षा में 36वीं रैंक हासिल करने के लिए जेएनयू के एसआईएस में पीएचडी स्कॉलर जैस्मीन को बधाई दी।
वहीं जैसमिन का कहना है कि जेएनयू ने उनके विश्लेषणात्मक कौशल का पोषण किया। जेएनयू में हासिल की गई क्रिटिकल सोच उनके काम आई। जैसमिन का कहना है कि यूपीएससी परीक्षा के लिए उनके पास कोई औपचारिक कोचिंग नहीं थी बल्कि जेएनयू का निरंतर अकादमिक प्रशिक्षण था जिसने उन्हें यूपीएससी में बढ़त दिलाई। यूपीएससी टॉपर श्रुति शर्मा भी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी हैं।
जेएनयू के पूर्व छात्र और दिल्ली के रहने वाले शौनक सेन ने इस बार कान्स फेस्टिवल में लोहा मनवाया है। शौनक सेन की डॉक्युमेंट्री 28 मई को बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड मिला। शौनक सेन एक फिल्म डायरेक्टर हैं और उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
शौनक सेन अपनी इस फिल्म में दिल्ली के दो भाइयों की कहानी दिखाई गई है। फिल्म में यह दोनों भाई घायल चीलों का इलाज कर उनकी जान बचाते हैं। शौनक सेन यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाती है कि कैसे चील कैसे दिल्ली से दूर हो रही हैं जिसका पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। शौनक सेन को कान्स फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड के रूप में 5 हजार यूरो दिए गए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने अपने पूर्व छात्र की अंतरराष्ट्रीय कामयाबी पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि जेएनयू के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स (एसएए) के पूर्व छात्र, शौनक सेन पर विश्वविद्यालय को गर्व है। उन्होंने अपनी डॉक्यूमेंट्री, 'ऑल दैट ब्रीथ्स' के लिए कान्स फेस्टिवल में प्रतिष्ठित द गोल्डन आई पुरस्कार जीता है। एसएए में पीएचडी स्कॉलर अमन मान फिल्म के निर्माता हैं। दोनों को बधाई।
जेएनयू ने बुकर पुरस्कार जीतने पर अपनी पूर्व छात्रा गीतांजलि श्री को लेकर कहा कि गीतांजलिश्री का हिंदी उपन्यास, बुकर पुरस्कार जीतने वाली भारतीय भाषा की पहली पुस्तक बन गई है। गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेजी अनुवाद 'टूंब ऑफ सैंड' के लिए यह पुरस्कार मिला है।
गौरतलब है कि यह उपन्यास उत्तर भारत की 80 वर्षीय एक महिला की कहानी है, जिसे बुकर के निर्णायक मंडल ने आनंदमय कोलाहल और एक बेहतरीन उपन्यास करार दिया है।
जेएनयू ने अपनी पूर्व छात्रा गीतांजलि श्री की पुस्तक को लेकर कहा कि एक कहानी सब कुछ बयां कर सकती है। 'टूंब ऑफ सैंड' गीतांजलि श्री के हिंदी में लिखे उपन्यास रेत समाधि का अंग्रेजी में अनूवादित संस्करण है। वह इस बात का मूल्यांकन करती है कि एक मां, बेटी, महिला और नारीवादी होने के क्या मायने हैं।
वही जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष आईसी घोष ने इन कामयाबियों पर कहा कि बुकर पुरस्कार, कान्स और फिर यूपीएससी टॉपर। ऐसा नहीं है कि हमें खुद को साबित करने की जरूरत थी। हमें अपने विश्वविद्यालय पर हमेशा गर्व है। लेकिन अगली बार जब आप पूछें कि हम करदाताओं के पैसे का क्या करते हैं बस इसे याद रखें। जेएनयू फॉरएवर..
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia