उत्तर प्रदेश के बाद अब झारखंड सरकार की भी मदरसों पर टेढ़ी नजर
झारखंड सरकार ने ऐसे मदरसों के दस्तावेजों की जांच के लिए एक टीम गठित की है, जो सरकार की ओर से निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं।
सत्ता में आने के बाद से ही योगी सरकार की मदरसों पर टेढ़ी नजर रही है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के 46 मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदान पर रोक लगा दी गई। सरकार का कहना है कि इन मदरसों के खिलाफ जांच के बाद ये पाया गया कि उनमें अनियमितताएं हो रही हैं। योगी सरकार ने प्रदेश में चल रहे 560 मदरसों को दिए जाने वाली अनुदान राशि को लेकर जांच शुरू की थी और इसके लिए एक संयुक्त कमेटी का गठन किया गया था।
योगी सरकार इससे पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य के मदरसों से राष्ट्रभक्ति का सबूत भी मांग चुकी है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने राज्य के सभी मंडलों के अल्पसंख्यक कल्याण उप निदेशकों और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में होने वाले कार्यक्रमों की पुष्टि के लिए सबूत के तौर पर फोटो और वीडियो मांगा था।
अब ताजा मामले में झारखंड सरकार ने भी मदरसों के दस्तावेजों की जांच के लिए एक टीम गठित की है। सरकार की ओर से निर्धारित मानदंडों के अनुसार मदरसे चल रहे हैं या नहीं, यह टीम उसकी जांच करेगी। झारखंड एकेडमी काउंसिल (जेएससी) का कहना है कि शुरुआती तौर पर 50 मदरसों में अनिमितताएं मिलने के बाद जांच टीम को गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 590 मदरसों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इनमें से अधिकांश बिहार मदरसा बोर्ड से संबंधित हैं, लेकिन इनमें से कई मदरसों के दस्तावेज फर्जी हैं।
झारखंड के गोड्डा, पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में सरकार की मदद से चल रहे ज्यादातर मदरसे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि 2000 में जब झारखंड एक अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ था, तब ही बिहार सरकार ने मदरसों की सूची झारखंड सरकार को सौंप दी थी। इसके बाद कुछ मदरसों ने दावा किया था कि उनका नाम सूची से हटा दिया गया है और जांच के बाद उस सूची में कई और नाम जोड़े गए थे।
योगी सरकार की तरह ही झारखंड सरकार के इस कदम को बीजेपी की अल्पसंख्यक विरोधी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। अब तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि इस मामले में वाकई कोई दम या नहीं?
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