जम्मू-कश्मीर: राज्यपाल ने कहा, पिछली सरकार में हुआ रोजगार घोटाला, राजनीतिक पार्टियों ने पूछे आरोपियों के नाम  

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह कहा था कि जम्मू-कश्मीर बैंक के तकरीबन 582 उम्मीदवारों की राजनीतिक नियुक्तियां हुई थीं, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी के गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के नेताओं की अनुशंसा पर की गई थीं।

फोटो: सोशल मीडिया
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आशुतोष शर्मा

पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक टीवी साक्षात्कार में यह आरोप लगाया कि पीडीपी-बीजेपी की गठबंधन सरकार के दौरान एक रोजगार घोटाला हुआ था। इसके बाद दोनों पार्टियों ने राज्यपाल से यह आग्रह किया है कि वे मीडिया में संस्थाओं पर हमला करने की बजाय ‘पिछले दरवाजे से हुई नियुक्तियों’ में शामिल नेताओं और नौकरशाहों का नाम सार्वजनिक करें।

यह दूसरा बड़ा घोटाला है जिसे राज्यपाल ने 23 अगस्त को कार्यभार संभालने के बाद उजागर किया है। पिछले सप्ताह राज्यपाल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के साथ सरकार के उस अनुबंध को रद्द कर दिया था जिसके तहत राज्य के 4 लाख सरकारी कर्मचारियों स्वास्थ्स बीमा मिला हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने इस कथित घोटाले में सतर्कता आयोग की जांच का आदेश भी दिया था।

27 अक्टूबर को टाइम्स नाउ को दिए साक्षात्कार में प्रदेश के राज्यपाल ने यह कहा था कि जम्मू और कश्मीर बैंक के तकरीबन 582 उम्मीदवारों की राजनीतिक नियुक्तियां हुई थीं, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी के गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के नेताओं की अनुशंसा पर की गई थीं।

राज्य लोक सेवा आयोग पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए राज्यपाल ने यह भी जोड़ा कि परीक्षा में शामिल हुए बगैर एक युवा को कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए चुन लिया गया।

उन्होंने टीवी चैनल को बताया, “आतंकवादी पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं को नियुक्त किया गया। नियुक्त शिक्षकों में से कुछ लोग स्कूलों में कट्टरवाद का उपदेश दे रहे थे।“ उन्होंने यह भी कहा कि पहले की सरकार आतंकवादियों और पत्थर फेंकने वालों के प्रति नरम थी। उन्होंने कहा, “कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं जब सरकारी कर्मचारी ऑफिस से घर लौटते वक्त पत्थर फेंकते हुए और उसके बदले में अलगाववादियों से 500 रुपए लेते हुए पाए गए।”

जब उन्हें टोक कर यह कहा गया कि बीजेपी भी गठबंधन सरकार का हिस्सा थी जब यह घनघोर अनियमितताएं हो रही थीं, उन्होंने जवाब दिया कि इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देना बीजेपी का काम है।

आरोपों से इंकार करते हुए प्रदेश बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने नेशनल हेरल्ड से कहा, “अगर राज्यपाल के पास कुछ तथ्य हैं, तो वे उन लोगों के नाम सार्वजनिक करें जिनके कहने पर गैर-कानूनी नियुक्तियां हुईं। अन्यथा, ऐसी टिप्पणियां लोगों को भ्रमित करती हैं और गलतफहमी पैदा करती हैं। उन्हें इसकी जांच करने दीजिए।”

उन्होंने दावा किया, “हम पूरी तरह निश्चिंत हैं कि हमारा कोई नेता गैर-कानूनी नियुक्तियों में शामिल नहीं है।” उन्होंने जोड़ा, “अगर कोई बीजेपी नेता दोषी साबित होता है तो हम उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरोपों को लेकर बीजेपी ने राज भवन से संपर्क किया है, उन्होंने जवाब दिया, “हमने पार्टी के भीतर इसकी चर्चा की है। जो कदम उठाए जाने हैं उस पर बात हो रही है और सही वक्त पर वे कदम उठाए जाएंगे।”

वरिष्ठ पीडीपी नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने अफसोस जताया कि बिना तथ्यों की जांच किए राज्यपाल मीडिया में ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राज्यपाल को यही सलाह दी जा सकती है कि मीडिया में जाने से पहले वे कार्रवाई कर दोष स्थापित करें।”

अख्तर ने जोड़ा, “राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरियों को बदनाम करने का एक अभियान चल रहा है क्योंकि लोगों को देश के प्रति उनकी वफादारी पर शक है। लेकिन दुर्भाग्य से, मौजूदा राज्यपाल उस संकट पर बात नहीं कर रहे हैं, बजाय इसके उनकी टिप्पणियां कश्मीरियों को और ज्यादा बदनाम कर रही हैं।

उसी तरह, जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने पिछली पीडीपी-बीजेपी सरकार के दौरान हुईं सारी नियुक्तियों की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि नियमों का उल्लंघन कर सरकारी सेवाओं में ‘हजार करीबी उम्मीदवारों’ की नियुक्तियां हुई हैं।

पार्टी के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह ने आरोप लगाया कि 2017 में बिना प्रक्रियाओं का पालन किए हुए पिछले दरवाजे से पुलिस सेवा में हजारों विशेष पुलिस अधिकारियों की नियुक्तियां हुईं। यह नियुक्तियां 10 हजार पदों के लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद हुई थीं।”

जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री और राजपोरा से पीडीपी विधायक हसीब द्रबू ने ट्वीट कर यह मांग की कि उन राजनीतिक नेताओं के नाम बताए जाएं जिन्होंने राज्यपाल के दावे के अनुसार नियुक्ति सूची बदलवाई।

श्रीनगर के वरिष्ठ पत्रकार नासिर ए गनई ने कहा, “राज्यपाल ने जो खुलासा किया है उसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। हम सब जानते हैं यहां क्या हो रहा है। किन्हें लोन मिलता है, किन्हें नौकरियां मिलती हैं, और वो सब कैसे मिलता है। और यह कभी रुकेगा नहीं, यह भी हम जानते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “करप्शन हटाओ, कश्मीर बचाओ जैसे राजनीतिक नारे का इस्तेमाल करने की बजाय राज्यपाल को उन नेताओं, नौकरशाहों के नाम बताने चाहिए जो इस नए घोटाले में शामिल थे।

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