हिमंत विश्व शर्मा के ‘विभाजनकारी’ बयान पर संज्ञान लें प्रधान न्यायाधीश, जमीयत की मांग

जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का बयान न केवल अनुचित हैं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के साथ धोखेबाजी हैं।’’

फोटो: सोशल मीडिया
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पीटीआई (भाषा)

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमेमा-ए-हिंद ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के ‘मियां मुस्लिम’ संबंधी बयान की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को इस ‘‘विभाजनकारी एवं संविधान विरोधी’’ टिप्पणी का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।

शर्मा ने बीते मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा था कि वह पक्षपात करेंगे और ‘मियां मुस्लिमों’ को असम में कब्जा नहीं करने देंगे।

शर्मा नगांव में 14 साल की एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर विपक्षी दलों के कार्य स्थगन प्रस्ताव के संबंध में विधानसभा में बोल रहे थे।


जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का बयान न केवल अनुचित हैं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के साथ धोखेबाजी हैं।’’

मदनी ने प्रधान न्यायाधीश न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक लिखित पत्र भी भेजा है जिसमें असम के मुख्यमंत्री के लगातार असंवैधानिक बयानों की सूची संलग्न है और उनसे तुरंत कार्रवाई की मांग की गई है।

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से इस पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह भी किया है। मदनी ने यह दावा भी किया कि मुख्यमंत्री एक भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक को "मियां" कहकर अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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