जयपुर की हिंसा के जरिये एक बार फिर सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने की कोशिशें
जयपुर में ठंडी पड़ रही हिंसा की आग को सोशल मीडिया के जरिये देश भर में फैलाने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। इसमें भी कुछ वैसे लोग शामिल हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीटर पर फॉलो करते हैं।
एक मामूली विवाद पर जयपुर में शुक्रवार की रात भड़की हिंसा की आग अब थमती नजर आ रही है। शनिवार की सुबह शहर के हिंसाग्रस्त क्षेत्र आमतौर पर पूरी तरह से शांत रही। हालांकि एहतियात के तौर पर इलाके में अभी भी कर्फ्यू जारी है। प्रशासन पूरी तरह से चौकसी बरत रहा है। अफवाहों और झूठी खबरों के जरिये माहौल खराब करने की आशंका को देखते हुए शहर में अभी भी इंटरनेट सेवा पर रोक जारी है।
लेकिन जयपुर में ठंडी पड़ रही हिंसा की इस आग को सोशल मीडिया के जरिये देश भर में फैलाने की कोशिशें भी शुरू हो चुकी हैं। ट्वीटर और फेसबुक के जरिये घटना के बारे में अफवाह और नफरत से भरे पोस्ट शेयर किये जा रहे हैं। और हर बार की तरह इस बार भी इस काम में सबसे आगे वे लोग हैं जिन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ट्वीटर फॉलो करते हैं। हमेशा की तरह झूठ और अफवाह फैलाने के इस खेल में प्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी की विचारधारा से जुड़े लोग सक्रिय हो चुके हैं। जानबूझकर इस घटना को हिंदू -मुस्लिम का रंग देने की कोशिश शुरू हो गई है। भीड़ की हिंसा को हिंदू-मुस्लिम के नजरिये से पेश कर आगामी चुनाव के लिए माहौल बनाने की कोशिश में ट्रोल टीम लग गई है। ट्वीटर पर प्रधानमंत्री द्वारा फॉलो किए जाने वाले शख्य गौरव मोहनोत ने इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की।
एक ओर जहां कांग्रेस और अन्य दलों के नेता और कई पत्रकार इस घटना को दुखद बता रहे हैं और प्रशासन से वाजिब कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं साम्प्रदायिक मानसिकता के लोग इसे मुसलमानों की हिंसक प्रवृत्ति ठहराकर दो समुदायों के बीच नफरत की खाई पैदा करना चाहते हैं। इस तरह के प्रयास पहले भी हो चुके हैं। हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार-संपादक गौरी लंकेश की हुई नृशंस हत्या के बाद भी इन ट्रोल गिरोहों ने काफी संवेदनहीन और भड़काने वाले ट्वीट किए थे। ऐसे ट्वीट करने वालों में से भी कुछ लोगों को पीएम मोदी ट्वीटर पर फॉलो करते हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष देश का प्रधानमंत्री कैसे ट्वीटर पर ऐसे लोगों को फॉलो कर सकता है जिनके विचार देश के ताने-बाने के पूरी तरह खिलाफ हों?
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Published: 09 Sep 2017, 3:10 PM