राज्यसभा में गूंजा पंजाब के साथ केंद्र के भेदभाव का मुद्दा, सांसद ने जीएसटी का हिस्सा नहीं देने पर उठाए सवाल
जीएसटी में से राज्य का हिस्सा 4100 करोड़ रुपए नहीं मिलने से पंजाब में इन दिनों वित्तीय इमरजेंसी के हालात पैदा हो गए हैं। इस वित्तीय संकट के कारण राज्य गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर पहुंच गया है। यहां तक कि कर्मचारियों के वेतन पर भी संकट छाया है।
राज्यसभा में आज पंजाब से कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी संग्रह में से राज्य की हिस्सेदारी देने में हो रही देरी का मुद्दा उठाया। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए बाजवा ने कहा कि पंजाब को अगस्त से जीएसटी मुआवजा नहीं मिला है और इसने राज्य की वित्त प्रणाली को अवरुद्ध कर दिया है। बाजवा ने कहा, "पंजाब गंभीर वित्तीय समस्या का सामना कर रहा है। आपको आश्चर्य होगा, जब जीएसटी लाया गया था, तो यह निर्णय लिया गया था कि सभी राज्यों को एक महीने में जीएसटी मुआवजा मिलेगा। पंजाब को अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के महीनों के लिए मुआवजा नहीं मिला है और अब नवंबर का महीना चल रहा है।"
कांग्रेस सांसद ने पंजाब के वित्त मंत्री के हवाले से बताया कि राज्य ने राष्ट्र के सर्वोच्च हित में जीएसटी का हिस्सा बनने का फैसला किया था। लेकिन आज पंजाब का जीएसटी के तहत 2,001 करोड़ रुपये का मुआवजा और 2,000 करोड़ रुपये का अन्य बकाया केंद्र के पास लटका है। उन्होंने केंद्र द्वारा भुगतान में देरी को अनुचित बताया, क्योंकि पंजाब एक छोटा और साथ ही एक सीमावर्ती राज्य है। बाजवा ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि वे जल्द से जल्द बकाए का भुगतान सुनिश्चित कराएं। टीएमसी के मानस रंजन भूनिया ने भी पश्चिम बंगाल को जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया।
इससे पहले पंजाब में जारी आर्थिक संकट को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक ट्वीट के जरिये केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि पंजाब के साथ जानबूझकर इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है और उसे संकट में डाला जा रहा है। उन्होंने लिखा है कि उन्हें आश्चार्य हुआ कि केंद्र ने जीएसटी का पंजाब को दिया जाने वाला हिस्सा इस तरह रोका हुआ है। इससे राज्य गंभीर आर्थिक संकट का शिकार हो गया है। सरकार को कर्मचारियों को वेतन देने में मुश्किलें आ रही हैं और विकास कार्य भी ठप्प हो रहे हैं। बड़ी नाजुक स्थिति है।
पंजाब के वित्त विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी का बकाया रोके जाने के चलते सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत आ रही है और अन्य भुगतान भी रुके हुए हैं। अगर तत्काल राशि रिलीज न हुई तो नवंबर महीने का वेतन दिसंबर में नहीं दिया जा सकेगा। पेंशन और अन्य भुगतान भी नहीं हो पाएंगे। केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार का सारा आर्थिक तानाबाना बिगाड़ दिया है।
उच्च पदस्थ अधिकारियों ने 'नवजीवन' को बताया कि जारी वित्तीय संकट के चलते बिजली निगम को दी जाने वाली सब्सिडी नहीं दी जा सकी। इसी तरह नगर निगमों, नगर पालिकाओं, पंचायतों, सेहत सेवाओं और शिक्षा के लिए दी जाने वाली सरकारी ग्रांट और सब्सिडी भी अक्टूबर से नहीं दी जा रही। ग्रामीण विकास के लिए दी जाने वाली 300 करोड़ रुपए की ग्रांट भी रुक गई है। पंजाब सरकार हर महीने 2200 करोड़ रुपए वेतन पर खर्च करती है। राज्य सरकार को इस साल केंद्र से जीएसटी का 9,700 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है, जिसका कोई सिरा फिलहाल नहीं मिल रहा।
इससे पहले कुछ दिनों पहले वित्त मंत्रियों की बैठक में भी विपक्ष शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने इस मुद्दे को उठाया था। तब कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने कहा था कि जीएसटी मुआवजे में देरी ने उनके आत्मविश्वास को हिला दिया है। एक संयुक्त बयान में पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, राजस्थान और पंजाब के वित्त मंत्रियों ने केंद्र के रवैये पर चिंता जताते हुए कहा था कि मुआवजे की देरी ने उनके आत्मविश्वास को हिला दिया है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
- punjab
- Rajya Sabha
- Economic Crisis
- Modi Govt
- मोदी सरकार
- राज्यसभा
- आर्थिक संकट
- पंजाब
- कांग्रेस सरकार
- Congress Govt
- Financial Emergency
- GST Share
- जीएसटी हिस्सा
- वित्तीय आपातकाल