एक्सक्लूसिव: मोदी के सी-प्लेन का इंतजाम करने वाली कंपनी का है केंद्र के साथ 2000 करोड़ का समझौता, विमान भेजने वाली कंपनी नहीं बताती है असली मालिकों के नाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस सी-प्लेन का इस्तेमाल किया उसका इंतजाम करने करने वाली कंपनी का केंद्र के साथ 2000 करोड़ का समझौता है। इसके अलावा विमान भेजने वाली कंपनी विमान मालिकों का नाम नहीं बताती।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया
user

विश्वदीपक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जिस सी-प्लेन की चारों तरफ चर्चा है, उसकी व्यवस्था गुजरात के एक ऐसे कारोबारी ने की थी, जिसके साथ केंद्र सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का समझौता किया है। इतना ही नहीं, अमेरिका की जिस कंपनी से ये विमान मंगाया गया था, उसका साफ कहना है कि उसके पास जो भी एयरक्राफ्ट हैं, उनके असली मालिक अपना नाम छिपाना चाहते हैं। इसके अलावा जिस एक इंजिन वाले सी-प्लेन पर सवार होकर साबरमती की लहरों पर मोदी उतरे थे, वह पाकिस्तान के कराची शहर से आया था, और यह अभी तक साफ नहीं है कि उसकी गहनता से जांट-पड़ताल हुई थी या नहीं।

इन तीनों बिंदुओं से साफ होता है कि ये न सिर्फ हितों के टकराव का मामला है, बल्कि इसमें बहुत बड़ी सुरक्षा चूक भी हुई है।

दरअसल प्रधानमंत्री के इस सी-प्लेन करतब का आयोजन “आईकॉनिक एकता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड” ने किया था। इस कंपनी ने केन्द्र सरकार के साथ “पर्यटन के विकास” के लिए 2000 करोड़ रुपये का समझौता किया है। हालांकि पर्यावरण और सुरक्षा कारणों के चलते इस प्रोजेक्ट को अभी आखिरी मंजूरी मिलनी बाकी है, लेकिन माना जा रहा है कि कंपनी ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मोदी की सी-प्लेन उपलब्ध कराकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए माहौल बनाया है।

इस कंपनी के प्रमोटर और मैनेजिंग डायरेक्टर हिमांशु पटेल ने नवजीवन को बताया कि उनकी कंपनी पिछले चार साल से वॉटर स्पोर्ट्स, इको एडवेंचर और गुजरात के पहाड़ी इलाकों में “पर्यटन के विकास” के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उन्होंने दावा किया कि, “हम अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रोजेक्ट पर अपनी रुचि दिखाई।”

हिमांशु पटेल ने आगे बताया, “हमने तीन साल पहले यानि 2014 में सी-प्लेन का मुंबई में ट्रायल किया था। इस सिलसिले में कंपनी ने 2016 में आयोजित ‘अतुल्य भारत’ कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार के साथ 2000 हज़ार करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं।” रोचक तथ्य यह है कि जिस कंपनी ने केंद्र के साथ 2000 करोड़ रुपए का समझौता किया है, उसकी स्थापना और इनकार्पोरेशन ही सितंबर 2016 में हुआ है और इसकी अथॉराइज़्ड और पेड-अप कैपिटल एक लाख रुपए है। ऐसी कंपनी के साथ महज एक साल में ही 2000 करोड़ रुपए का समझौता कई सवाल खड़े करता है।

वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
आइकॉनिक एकता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में उपलब्ध जानकारी

जानकारी के मुताबिक “ आईकॉनिक एकता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड”को प्रोजेक्ट के तहत गुजरात के धरोई बांध को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है। कंपनी का दावा है कि धरोई बांध कई दूसरे अहम पर्यटन केंद्रों से जुड़ा है, इसलिए इस इलाके में पर्यटन के विकास की असीम संभानाएं हैं। पर्यटकों को अहमदाबाद से धरोई तक की सी-प्लेन यात्रा के लिए 2500 रुपये खर्च करने होंगे।

धरोई वही बांध है जहां – साबरमती से उड़ान भरने के बाद – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सी –प्लेन को उतारा गया था। माना जा रहा है कि धरोई बांध में सी-प्लेन उतारने का फैसला कंपनी के दबाव में लिया गया था। विपक्ष का दावा है कि हितों के टकराव का ये मामला बेहद संगीन है। अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि “सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि अहमदाबाद स्थित “आईकॉनिक एकता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड” ने गुजरात सरकार के साथ भी वाइब्रेंट गुजरात समिट के दौरान एमयूओ पर दस्तखत किए हैं।”

इस विमान के बारे में जानकारी करने पर पता चलता है कि ये विमान अमेरिका में बैंक ऑफ यूटा ट्रस्टी के नाम पर रजिस्टर्ड है। जिसका पता यूटा के साल्ट लेक सिटी में बताया गया है। इससे पहले ये विमान क्वेस्ट एयरक्राफ्ट कंपनी एलएलसी के नाम रजिस्टर्ड था, लेकिन अगस्त 2016 में इसका स्वामित्व बैंक ऑफ यूटा ट्रस्टी के नाम कर दिया गया। बैंक ऑफ यूटा की वेबसाइट पर एयरक्राफ्ट संचालन और लीज पर देने के जो नियम और तरीके दर्ज हैं, उसके मुताबिक यह ट्रस्ट उन विमानों का संचालन करता है, जिनके मालिक अपना नाम छिपाना चाहते हैं।

वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
यूटा बैंक ट्रस्ट की वेबसाइट पर विमानों के स्वामित्व के बारे में उपलब्ध जानकारी

यहां सवाल उठता है कि क्या यह विमान किसी शेल कंपनी की मिल्कियत है? अगर ऐसा है, तो सवाल यह भी उठता है कि प्रधानमंत्री किसी ऐसे विमान में क्यों सवार हुए जिसकी मिल्कियत को ही छिपाया गया है? अगर गुजरात के कारोबारी हिमांशु पटेल यह दावा करते हैं कि इस विमान की व्यवस्था उन्होंने की थी, तो क्या यह विमान उनकी मिल्कियत है? लेकिन नेशनल हेरल्ड से बातचीत में हिमांशु ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया।

प्रधानमंत्री मोदी के सी-प्लेन को लेकर एक ऐसे ट्विटर हैंडिल से सवाल उठाए गए हैं, जिसे प्रियंका गांधी वडरा का बताया जा रहा है। हालांकि इसके प्रोफाइल में साफ लिखा है कि यह अकाउंट प्रियंका गांधी के फैन्स, समर्थकों और फॉलोअर्स द्वारा मैनेज किया जाता है। इसी ट्वीटर अकाउंट से लिखा गया है कि, “प्रधानसेवक ने एक सिंगल इंजिन जेट में उड़ान भरी, जो कि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है। इसके अलावा ये जेट कराची (पाकिस्तान) से आया था, तो क्या इसकी गहनता से जांच-पड़ताल की गई थी। इस पूरे मामले की शुरु से आखिर तक जांच करने करने की जरूरत है।”

एक अन्य ट्वीट में इसी हैंडल से कहा गया कि जिस सी-प्लेन में बैठकर प्रधानमंत्री साबरमती नदी में उतरे थे, वह अमेरिका से कराची होते हुए भारत आया था। अहमदाबाद में प्रधानमंत्री का रोड शो रद्द होने के एक सप्ताह पहले ही ये प्लेन 3 दिसंबर को कराची में था।

इस प्लेन के मालिक के तौर पर एक अमेरिकी कंपनी का नाम सामने आया है, जिसमें किसी भारतीय की हिस्सेदारी होने की बात सामने नहीं आई है। इसी ट्वीट में कुछ तस्वीरें भी दी गई हैं, जिसमें इस प्लेन का फ्लाइट पाथ, यानी उड़ान का रास्ता और दूसरी जानकारियां दी गई हैं।

वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
वेबसाइट का स्क्रीनशॉट
सी-प्लेन का फ्लाइट पाथ

इसका मतलब यह कि बीजेपी ने चुनाव प्रचार के आखरी दिन अहमदाबाद में राहुल गांधी का रोड शो रद्द कराने के लिए दो दिन पहले मोदी के रोड शो का आवेदन दिया था, जबकि ये पहले से तय था कि मोदी को रोड शो नहीं बल्कि सी-प्लेन करतब दिखाना है। यह सारी जानकारी सामने आने पर गुजरात की मौजूदा मुख्य विपक्षी पार्टी और इस विधानसभा चुनाव में कड़ी चुनौती देने वाली कांग्रेस ने कहा है कि, “मोदी का सी-प्लेन करतब हितों के टकरावा का ज्वलंत नमूना है। एक तरफ वो ना खऊंगा, ना खाने दूंगा की बात करते हैं, दूसरी तरफ वो चुनाव के दौरान ऐसी कंपनी से सी –प्लेन यात्रा आयोजित कराते हैं जिसके साथ उनकी सरकार ने 2000 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।” उधर गुजरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भारत सोलंकी ने कहा, “गुजरात की जनता चाहती है कि उसके भविष्य के बाारे में बात हो। उसके लिए मोदी सरकार ने क्या किया है, इस पर बहस हो, न कि वो किस सी-प्लेन का सपना दिखा रहे हैं इस पर बात हो।”

वहीं गुजरात के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया का कहना है, “प्रधानमंत्री का सी-प्लेन करतब मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उनकी सरकार ने 22 सालों में गुजरात की जनता के लिए क्या किया ये उन्हें बताना चाहिए।”

मोदी के सी-प्लेन करतब ने न सिर्फ हितों के टकराव बल्कि सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर पर गंभीर सवाल पैदा किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री का एक इंजन वाले प्लेन में सवारी करना ही सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। इसके अलावा एक और रोचक पहलू इस सी-प्लेन करतब का सामने आया है, वह यह दावा है कि कि सी-प्लेन का प्रयोग भारत में पहली बार किया जा रहा है।

दरअसल तमाम मीडिया संस्थानों और मोदी समर्थकों के दावे की पोल खुल चुकी है। मोदी के इस करतब से सात बरस पहले 2010 में यूपीए सरकार के दौरान “जल हंस” नाम से सी-प्लेन की शुरुआत की गई थी। सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी पवन हंस और अंडमान निकोबार द्वीप प्रशासन के संयुक्त प्रयास से इस सेवा को 2010 में शुरु किया गया था। पूर्व सिविल एविएशन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने एक तस्वीर के साथ खुद ट्वीट पर इसकी जानकारी दी।

इसी तरह 4 साल पहले ही 2013 में केरल सरकार ने सी-प्लेन सर्विस की योजना बनाई थी। हालांकि मछुआरा समुदाय के विरोध के चलते इसे स्थगित करना पड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने इस बारे में ट्वीट भी किया था।

इतना नहीं, खबरों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट Alt news ने दावा किया है कि विमान कंपनी स्पाइसजेट ने हाल ही में 9 दिसंबर को मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर सी-प्लेन का परीक्षण किया था। इस दौरान वहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अशोक गजपति राजू भी मौजूद थे।

जानकारों का मानना है कि भारत में सी-प्लेन का इस्तेमाल यातायात को सुगम बनाने की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन मोदी सरकार इस परियोजना के जरिए कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश में है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 13 Dec 2017, 4:21 PM