महंगाई, बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती, इस पर लगाम नहीं लगी तो चुनाव में बीजेपी को दंडित करती रहेगी जनता: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए ‘सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी’ के अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि जून 2024 में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत थी।

राज्यसभा में बजट पर चर्चा पर पी चिदंबरम
राज्यसभा में बजट पर चर्चा पर पी चिदंबरम
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नवजीवन डेस्क

राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार को आगाह किया कि यदि उसने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर लगाम नहीं लगायी तो देश की जनता सत्तारूढ़ दल को उसी तरह चुनावों में दंडित करती रहेगी जैसा उसे हाल के उपचुनावों में दंडित किया गया था।

चिदंबरम ने कहा कि वह आम बजट में घोषित ‘ईएलआई’ पहल से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं और उन्हें आशंका है कि कहीं इसका हश्र भी प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरी देने के ‘चुनावी जुमले’ जैसा नहीं हो जाए।

आम बजट 2024-25 और जम्मू कश्मीर के बजट पर उच्च सदन में एक साथ चर्चा प्रारंभ करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह इस बात को लेकर विशेष प्रसन्न हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को पढ़ने का अवसर निकाला। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र की पृष्ठ संख्या 11, 30 एवं 31 से अच्छे विचारों को लिया।

उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्यों और विशेषकर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को सलाह दी कि वे कांग्रेस घोषणापत्र का अध्ययन करें ताकि पार्टी बैठकों में वे प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को उनके घोषणापत्र के कुछ और अच्छे विचारों को अपना लेने के लिए मना सकें। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप वे विचार लेते हैं तो हम आपका समर्थन करने में बहुत बहुत प्रसन्न होंगे।’’

चिदंबरम ने कहा, ‘‘नकल करना, इस सदन में निषिद्ध नहीं है, बल्कि नकल करने को इस सदन में प्रोत्साहन और पुरस्कार मिलता है। अत: थोड़ा और नकल करिए।’’


उन्होंने बेरोजगारी को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए ‘सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी’ के अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि जून 2024 में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह कुछ नीचे आ गयी हो।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहले उत्पादन आधारित प्रोत्साहन होता था। उन्होंने कहा, ‘‘जब आपने रोजगार आधारित प्रोत्साहन शुरू किया तो उसके कुछ कारण रहे होंगे। मुझे समझता हूं कि इसका कारण यह रहा कि आप उत्पादन आधारित प्रोत्साहन से जितने रोजगार सृजित होने की उम्मीद कर रहे थे, वे नहीं हुए। अत: वित्त मंत्री सदन को यह बताने की कृपा करें कि पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना) के क्या परिणाम रहे?’’

उन्होंने कहा कि जब पीएलआई के परिणाम सामने आ जाएंगे तो इस बात पर विचार किया जा सकता है कि ईएलआई (रोजगार आधारित प्रोत्साह योजना) के क्या नतीजे हो सकते हैं? उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के भाषण को पढ़कर ईएलआई की पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पा रही है।

चिदंबरम ने ईएलआई को एक ‘दिलचस्प विचार’ करार दिया लेकिन कहा कि यह ‘‘हमारे भीतर विश्वास उत्पन्न नहीं कर पा रहा है कि आप 290 लाख लोगों को ईएलआई के तहत ला पाएंगे।’’ उन्होंने सरकार को आगाह किया कि कहीं इसका हश्र उस ‘चुनावी जुमले’ की तरह नहीं हो जाए कि हर वर्ष दो करोड़ रोजगार दिए जाएंगे।

उन्होंने देश में बेरोजगारी की समस्या की विकरालता को समझाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग द्वारा 60,244 पदों की खातिर करायी गयी परीक्षा का उदाहरण दिया जिसमें 48 लाख लोगों ने आवेदन किया तथा बाद में यह परीक्षा रद्द कर दी गयी। इसी प्रकार उन्होंने एयर इंडिया, गुजरात की एक निजी कंपनी, मध्य प्रदेश में कम कुशलता वाले पदों एवं राज्य भर्ती बोर्ड पर विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए बेरोजगारों की उमड़ी भारी भीड़ के उदाहरण भी गिनाये।


कांग्रेस नेता ने कहा कि इन सब परिस्थितियों के बीच कुछ ही दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि भारत में रोजगार को लेकर कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक से ‘‘सतर्क, परंपरावादी और निष्पक्ष होने की उम्मीद की जाती है किंतु इस मामले में वह न तो सतर्क है, न परंपरावादी और न ही निष्पक्ष। किसी मंत्री या किसी सरकारी अधिकारी ने भी रिजर्व बैंक के इस वक्तव्य का प्रतिरोध नहीं किया।’’

उन्होंने कहा कि वह ईएलआई से बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं और इसके परिणामों की प्रतीक्षा करेंगे, तभी सरकार की मंशा स्पष्ट हो पाएगी।

मुद्रास्फीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में ‘मात्र दस शब्दों में’ मुद्रास्फीति होने की बात को नकार दिया। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि क्या मुद्रास्फीति इतना मामूली विषय है कि उसे मात्र दस शब्दों में निपटा दिया जाए?

उन्होंने दावा किया कि सरकार ने महंगाई संबंधी जो आंकड़े दिये हैं, देश के अंदरूनी एवं दूरदराज के हिस्सों में महंगाई उससे कई गुना अधिक है। उन्होंने आर्थिक समीक्षा में दिये गये मुख्य आर्थिक सलाहकार के एक बयान का भी हवाला दिया कि भारत में मुद्रास्फीति की दर कम, स्थिर तथा चार प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यह दर पिछले चार वर्ष से इसी चार प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है और यह लक्ष्य पर कब पहुंचेगी? उन्होंने कहा कि यदि यह दर नीची और स्थिर है तो रिजर्व बैंक ने बैंकों को दिये जाने वाले ऋण की जो दर जून 2023 में तय की थी, उसे कम क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि 6.5 प्रतिशत की जो बैंक दर तय की गयी थी, वह पिछले 13 माह से जारी है।

उन्होंने कहा कि बैंक दर वह संकेत है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि मुद्रास्फीति किस दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जो कहा, वह एक ‘चोट’ है तथा वित्त मंत्री ने इस विषय को दस शब्दों में खारिज किया, वह ‘इस चोट पर अपमान करना है।’


कांग्रेस नेता ने सरकार को आगाह किया कि वह मुद्रास्फीति को बहुत गंभीरता से नहीं ले रही है तथा पिछले कुछ उपचुनावों में 13 में 10 सीटों पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का विजयी होना, उनकी दृष्टि में सरकार के लिए एक चेतावनी है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप (सरकार) मुद्रास्फीति को गंभीरता से नहीं लेंगे तो आपको और दंडित किया जाएगा। याद आप दंड को झेलते रहना चाहते हैं तो यह करने के लिए आपका स्वागत है।’’

उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बारे में गुलाबी तस्वीर पेश करने के लिए सरकार पर आंकड़ों में हेरफेर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विकास दर यदि बढ़ती है तो उसे देश के आम लोगों द्वारा महसूस भी किया जाना चाहिए।

चिदंबरम ने कहा कि 2022-23 में देश में 7.4 करोड़ करदाता थे और यह बढ़कर आठ या साढ़े आठ करोड़ हो गये होंगे। उन्होंने कहा कि इन 7.4 करोड़ करदाताओं में से 65 प्रतिशत का कर दायित्व शून्य है। उन्होंने नयी कर व्यवस्था के बारे में गुजरात के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट की गणना के हवाले से कहा कि बजट में जो छूट दी गयी है, वह भारत के मात्र दो से तीन करोड़ लोगों को ही मिल पाएगी।

उन्होंने कहा कि देश की 142 करोड़ जनता में से मात्र दो से तीन करोड़ लोगों को कर राहत देने से भला क्या हासिल हो पाएगा? उन्होंने सवाल किया कि देश के गरीब लोगों को कहां राहत मिल रही है और 30 करोड़ दैनिक पगार पाने वाले श्रमिकों को क्या राहत मिली है?

पूर्व वित्त मंत्री ने 125 देशों के भुखमरी सूचकांक में भारत को 111वां स्थान मिलने का उल्लेख करते हुए कहा कि भले ही सरकार इस सूचकांक को नकार दे किंतु देश के 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाना, इस बात की स्वीकारोक्ति है कि देश भुखमरी सूचकांक में काफी नीचे है। यह बताता है कि लोग भोजन भी वहन नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने संघवाद की चर्चा करते हुए दावा किया कि केरल और पश्चिम बंगाल का धन रोका जा रहा है तथा गैर-बीजेपी राज्य सरकारों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार का इस अप्रैल से पहले आंध्र प्रदेश, ओडिशा और बिहार के प्रति क्या रुख था? उन्होंने कहा कि इन राज्यों की यह मांग पहले से थी किंतु उनके साथ पहले कैसे व्यवहार किया जाता था?

चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस बात से कोई शिकायत नहीं है कि आंध्र प्रदेश और बिहार को राहत दी गयी किंतु किसी अन्य राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तमिलनाडु में पैदा हुईं और पढ़ाई कीं किंतु उनके भाषण में इस राज्य का एक भी बार नाम नहीं लिया गया।

उन्होंने वित्त मंत्री से पांच मांग पर विचार कर लागू करने को कहा। इनमें सभी रोजगारों के लिए प्रति दिन 400 रूपये का न्यूनतम पगार तय करना, एमएसपी को कानूनी गारंटी देना, मार्च 2024 तक दिये गये शिक्षा ऋण के ब्याज और बकाया किस्तों को माफ करना, अग्निवीर योजना को पूरी तरह समाप्त करना तथा नीट समाप्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ राज्य इसे जारी रखना चाहे तो अन्य राज्यों को इससे छूट दी जाए।

उन्होंने कहा कि यह पांच मांगें न केवल इस सदन में उठती रहेंगी बल्कि इंडिया गठबंधन को जहां भी अपनी बात रखने का मौका मिलेगा, वहां इनकी प्रतिध्वनि सुनने को मिलेगी।

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