हैदराबाद एनकाउंटर पर सीजेआई ने भी उठाया सवाल, कहा- बदले की भावना से किया गया न्याय, इंसाफ नहीं
हैदराबाद गैंगरेप के आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत पर भारत के प्रधान न्यायाधीश ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इंसाफ कभी जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए। अगर इंसाफ बदले की भावना से किया जाए तो यह अपना मूल स्वरूप खो देता है।
हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप के आरोपियों के एनकाउंटर पर भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने गैंगरेप आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर की आलोचना की है। राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने जोधपुर आए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर बदले की भावना से इंसाफ किया जाए तो न्याय अपना मूल चरित्र खो देता है।
बता दें कि शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे भी इसी समारोह में मुख्य अतिथि थे। इसी दौरान समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा कि न्याय को कभी भी बदले का रूप नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं नहीं समझता कि न्याय कभी भी आनन-फानन में किया जाना चाहिए। मैं समझता हूं कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो ये अपना मूल स्वरूप खो देता है।"
बता दें कि बीते दिनों हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक से गैंगरेप के बाद उसकी नृशंस हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने युवती की हत्या के बाद उसके शरीर पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी। तफ्तीश में पता चला कि आग लगाए जाने समय पीड़िता जिंदा थी। वारदात के सामने आने के बाद पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार कर कांड का खुलासा करने का दावा किया था। इसी बीच शुक्रवार सुबह पुलिस ने कांड के चार आरोपियों को एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया। पुलिस के मुताबिक हैदराबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर शादनगर इलाके के चटनपल्ली में घटनास्थल से पुलिस इन आरोपियों को लेकर पीड़िता के सामान लेने गई थी। इसी बीच आरोपी पुलिस वालों से हथियार छीनकर भागने लगे। इस दौरान पुलिस द्वारा चेतावनी देने पर उनलोगों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया, जिसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में ये चारों आरोपी मारे गए।
गौरतलब है कि हैदराबाद गैंगरेप की घटना को लेकर पूरे देश में उबाल था। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में घिनौनी हरकत करने वालों को तत्काल सजा देने की मांग उठने लगी थी। यहां तक कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के दौरान भई कई सांसदों ने आरोपियों की खुलेआम लिंचिंग की मांग कर डाली थी। माना जा रहा है कि समाज मीडिया और स्थानीय लोगों की जनभावना को देखते हुए पुलिस ने देश की न्यायिक प्रणाली को ताक पर रखते हुए फ्रीज एनकाउंटर की कहानी गढ़ी।
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