हदिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ‘मैं आजादी चाहती हूं’
सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को केरल के कथित लव जिहाद मामले में अहम फैसला सुनाते हुए हदिया को उसके माता-पिता की कस्टडी से मुक्त करने और सलेम होम्योपैथी कॉलेज में उसकी शिक्षा पूरी करने देने के आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को केरल के कथित लव जिहाद मामले में अहम फैसला सुनाते हुए हदिया को उसके माता-पिता की कस्टडी से मुक्त करने और सलेम होम्योपैथी कॉलेज में उसकी शिक्षा पूरी करने देने के आदेश दिए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया।
यह फैसला पीठ में शामिल जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ द्वारा हदिया से 25 मिनट की बातचीत के बाद सुनाया गया। हदिया ने बातचीत के दौरान अपनी हाउस इंटर्नशिप पूरी करने और होम्योपेथिक डॉक्टर बनने की इच्छा जताई थी। हदिया ने कोर्ट को यह भी बताया था ति वह आजादी चाहती हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया था और बाद में एक मुस्लिम युवक से शादी की थी।
कोर्ट ने यह कहा कि उसे मेडिकल कॉलेज के नियम के मुताबिक लोगों से मिलने दिया जाए। कोर्ट ने कॉलेज के डीन को उसका अभिभावक भी नियुक्त कर दिया, जिसकी काफी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि 24 साल की एक महिला को कैसे रहना है यह कोई और क्यों तय करे?
कोर्ट ने केरल सरकार से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हदिया को सादे कपड़े पहने पुलिस बलों के साथ सलेम मेडिकल कॉलेज सुरक्षित पहुंचाया जाए।
कोर्ट ने मुस्लिम युवक शफीन जहां से विवाह करने के मामले पर हदिया के विचार जानने के लिए उसे कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कहा था। उसके अभिभावकों ने आरोप लगाया था कि उसके साथ 'जबरदस्ती कर धर्म बदलवाया' गया है।
इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने शफीन जहां से उसके विवाह को अवैध घोषित कर दिया था और उसे उसके पिता के संरक्षण में भेज दिया था।
शफीन जहां ने उसके बाद हदिया उस आदेश और इस मामले की जांच एसआईटी से कराने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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