देश को ‘हिंदू राष्ट्र’ बताना मोहन भागवत को पड़ा भारी, पूरे पंजाब में शुरू हुआ कड़ा विरोध
पंजाब में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सभी भारतीयों को हिंदू बताने वाले बयान का कड़ा विरोध शुरू हो गया है। यहां तक कि राज्य में लंबे समय से बीजेपी की सहयोगी अकाली दल ने भी नाखुशी जताई है। आने वाले दिनों में पंजाब में यह विरोध और तीखा होने की संभावना है।
दशहरे पर नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में हुए विशेष समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने वक्तव्य के केंद्र बिंदु मेंं कहा था कि भारत एक 'हिंदूू राष्ट्र' है और उसमें रहनेे वाले तमाम लोग हिंदू हैं। पंजाब में उनके इस कथन का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है।राज्य के कई प्रमुख सिख संस्थाओं, नेताओं और बुद्धिजीवियों ने भागवत के बयान के खिलाफ स्वर बुलंद किए हैं। मुख्यधारा का पंजाबी मीडिया भी खुलकर भागवत के वक्तव्य के विरोध में आगे आ गया है। यकीनन आने वाले दिनों में यह सिलसिला रफ्तार पकड़ेगा और आरएसएस को इस मामले में कम से कम पंजाब और सिखों से भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि बीजेपी के साथ फिलहाल गठबंधन मेंं शामिल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सांसद सुखबीर सिंह बादल ने भी भारत को हिंदू राष्ट्र बताने और यहां रहने वाले सभी लोगोंं को हिंदू करार दिए जाने से असहमति जताई है। गुरूवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर सेे करवाए गए विशाल सिख सम्मेलन में भागवत की हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की जबर्दस्त मुखालफत की गई।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंंह ने कहा कि आरएसएस का ऐसा कहना घोर आपत्तिजनक और निहायत घातक है कि भारत में रहने वाले तमाम लोग हिंदूू हैं, जबकि सिख और अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक और संवैधानिक तौर पर अपनी अलहदा पहचान रखते हैं। वे आपसी संबंधों के तौर पर तो हिंदुओं का हिस्सा हैं, लेकिन समुदाय के तौर पर अलग तथा स्वतंत्र हैं। जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने जोर देकर कहा कि “सिखों, मुसलमानों और ईसाइयोंं को आप कैसे 'हिंदूू' कह रहे हैं? जिस देश में बहुत सारे अलग धार्मिक विश्वास और मान्यता रखने वाले, विभिन्न भाषाएं- बोलियां बोलने वाले, अलग-अलग लोकाचार निभाने वाले और 'अहिंदू' रीति रिवाज निभाने वाले लोग करोड़ों की तादाद में बसते-रहते होंं, वह कैसे एकमुश्त हिंदू राष्ट्र हो सकता है। यह देश के लिए बेहद घातक सोच है और सिख इसका पुरजोर विरोध करते हैं और अपनी स्वतंत्र धार्मिक पहचान के लिए लड़ाई लड़ेंगे।”
सिखों की संसद कही जाने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार गोविंद सिंह लोंगोवाल भी इसी सुर में बोले और उन्होंने आरएसएस मुखिया की हिंदू राष्ट्र की ताजा अवधारणा का जबरदस्त विरोध किया। गठबंधन मेंं शामिल शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने भी असहमति के तेवरों के साथ कहा कि भारत विभिन्न धर्म और समुदायों से बना एक गुलदस्ता है। इसे किसी एक धर्म के साथ जोड़कर बताना ठीक नहीं। अकाली सूत्रों के मुताबिक विधानसभा उपचुनाव के बाद शिरोमणि अकाली दल इस मामले को कायदे से उठाएगा और खिलाफत में बाकायदा तीखी प्रतिक्रिया देगा।
गरमपंथी माने जाने वाले सिख राजनेता सिमरनजीत सिंह मान ने भी मोहन भागवत के भारत को हिंदू राष्ट्र कहने का विरोध किया है और इसके खिलाफ संघर्ष की बात कही है। पंजाब के अलग-अलग जिलों से भी अकाली और सिख नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख के बयान के खिलाफ बोलने लगे हैं। शिरोमणि अकाली दल के जालंधर जिला प्रधान और एसजीपीसी सदस्य कुलवंत सिंह मन्नण ने पार्टी नेताओं केे साथ मीटिंग में एतराज जताया और कहा कि सारे देशवासियों को एक धर्म के साथ जोड़ना दूसरे धर्मों का अपमान है। यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।
सिख बुद्धिजीवी भी मोहन भागवत के वक्तव्य का खुला और तार्किक विरोध कर रहे हैं। प्रख्यात चिंतक और पंजाबी आलोचक डॉक्टर सुखदेव सिंह ने कहा आरएसएस प्रमुख का वक्तव्य साफ जाहिर करता है कि आने वाले दिनों में आरएसएस के इशारे पर मोदी सरकार किस किस्म के खतरनाक पैंतरे अख्तियार कर सकती है। पंजाब लोक मोर्चा के अध्यक्ष अमोलक सिंह कहते हैं, "अल्पसंख्यकों के खिलाफ बकायदा एक बड़ी साजिश के तहत इस तरह का वक्तव्य नागपुर से जारी किया गया है। यह खतरे की बहुत बड़ी घंटी है।"
इसके अलावा प्रमुख पंजाबी अखबार 'अजीत' के संपादक बरजिंदर सिंह हमदर्द ने भी मुखपृष्ठ पर संपादकीय टिप्पणी लिखकर संघ प्रमुख के भारत के हिंदूू राष्ट्र संबंधी कथन का कड़ा विरोध किया है। आरएसएस प्रमुख भागवत के बयान के विरोध में ऐसे ही संपादकीय प्रमुख पंजाबी अखबारों पंजाबी ट्रिब्यून और नवांं जमाना ने भी लिखे हैं।
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Published: 11 Oct 2019, 6:02 PM