जिन अभिजीत बनर्जी पर मोदी सरकार के मंत्री कस रहे थे ताने, आखिर प्रधानमंत्री को उनसे मिलकर कैसे हुआ गर्व !

भारतीय मूल के शख्स को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल से सम्मानित किए जाने पर देश में सत्ताधारी बीजेपी और उसके नेताओं को काठ मार गया था। प्रशंसा तो दूर, बधाई के लिए औपचारिक शब्द भी बीजेपी नेताओं या सरकार के मंत्रियों के मुंह से नहीं निकल रहे थे।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर अपनी बनर्जी के साथ मुलाकात की तस्वीर भी साझा की और लिखा, "नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ एक उत्कृष्ट मुलाकात। मानव सशक्तीकरण के प्रति उनका जुनून स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हमने विभिन्न विषयों पर एक स्वस्थ और व्यापक बातचीत की। भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है। उन्हें उनके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।"

लेकिन प्रधानमंत्री के साथ अभिजीत बनर्जी की इस मुलाकात से कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि हाल में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए बनर्जी के नाम के ऐलान के साथ ही उन पर उनके काम को लेकर हमले शुरू हो गए थे। हाल ये था कि एक भारतीय मूल के शख्स को उसके काम के लिए नोबेल जैसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर देश की सत्ता पर काबिज बीजेपी और उसके नेताओं को काठ मार गया था। प्रशंसा तो दूर, बधाई देने के लिए औपचारिक शब्द भी बीजेपी नेताओं या सरकार के मंत्रियों के मुंह से नहीं निकल रहे थे।

हद तो तब हो गई, जब तारीफ तो दूर मोदी सरकार के वरिष्ठ सदस्य और देश के रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अभिषेक बनर्जी को ही एक तरह से पहचानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभिजीत बनर्जी की सोच में कोई खास बात नहीं है और हमें उनकी बात को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। गोयल ने आगे कहा, भले दुनिया अभिजीत बनर्जी के काम का लोहा माने और उन्हें नोबेल मिल गया हो, लेकिन उनको भारतीय अर्थव्यवस्था की कोई समझ नहीं है। गोयल ने कहा, “अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार की बधाई, लेकिन मेरा मानना है कि वे वाम विचारधारा के व्यक्ति हैं। उन्होंने ‘न्याय’ के गुणगान गाए थे, लेकिन भारत की जनता ने उनकी सोच को खारिज कर दिया।“


अभिजीत बनर्जी ने नोबेल पुरस्कारों के ऐलान के फौरन बाद एक कार्यक्रम में भारतीय अर्थव्यवस्था के संकट का मुद्दा उठाया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा, “भारत की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है और देश की आर्थिक नीतियां सही नहीं हैं।” इसी बयान से पीयूष गोयल समेत सभी बीजेपी नेता सकते में आ गए। गोयल पहले बीजेपी नेता नहीं हैं जिन्होंने अभिजीत बनर्जी को नोबेल मिलने पर आलोचनात्मक रवैया अपनाया। इससे पहले बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने भी अभिजीत बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा था कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने महंगाई और टैक्स बढ़ाने की वकालत की थी।

दरअसल, देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत को पर बनर्जी की बेबाक राय और कांग्रेस की योजना ‘न्याय’ में मदद की वजह से कुछ लोग पहले दिन से उन्हें मोदी विरोधी करार देने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों के खुले आलोचक बनर्जी ने आज पीएम मोदी से मुलाकात के बाद इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी। मोदी विरोध के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री ने बातचीत की शुरुआत इस बात का मजाक उड़ाते हुए की कि किस तरह मीडिया के लोग मुझे मोदी विरोधी बातें कहने के लिए फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।” बनर्जी ने कहा कि “पीएम मोदी टीवी देख रहे हैं, वह आप लोगों को देख रहे हैं, वह जानते हैं कि आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं।”


बता दें कि अभिजीत बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर हैं। भारत के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (एनवाईएवाई) या न्यूनतम आय गारंटी योजना तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को इस साल के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। बनर्जी फिलहाल अपनी नई पुस्तक 'गुड इकोनॉमिक्स फॉर हार्ड टाइम्स: बेटर आंसर्स टू अवर बिग प्रॉब्लम्स' के प्रचार के लिए भारत दौरे पर हैं।

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