नहीं रहे इतिहासकार प्रोफेसर मुशीरुल हसन, 69 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस
प्रसिद्ध इतिहासकार और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मशीरूल हसन का सोमवार की सुबह निधन हो गया। वह 68 साल के थे।
जाने-माने इतिहासकार और जामिया के पूर्व वाइस-चांसलर पद्मश्री मुशीरुल हसन का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 15 अगस्त 1949 को जन्मे मुशीरुल हसन ने सोमवार की सुबह अंतिम सांस ली। उन्होंने भारत के विभाजन और दक्षिण-एशिया में इस्लाम के इतिहास पर बड़े पैमाने पर लिखा। मुशीरुल हसन साल 1992-96 जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उप-कुलपति और बाद में साल 2004-09 तक कुलपति रहे। उन्हें उल्लेखनीय कामों के लिए पद्मश्री समेत कई अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
मुशीरुल हसन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष के साथ-साथ ईरान स्थित दूतावास में इंडो-ईरान सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष और 2002 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।
राजस्थान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रोफेसर मुशिरुल हसन जी के निधन पर मेरी संवेदनाएं। वह एक प्रसिद्ध इतिहासकार, एक शानदार लेखक और एक अद्भुत विद्वान थे। अकादमिक दुनिया के लिए एक बड़ा नुकसान। उनकी आत्मा को शांति मिले।”
सीपीआई(एम) मुखिया सीताराम येचुरी ने कहा, “एक इतिहासकार, एक अध्यापक, एक वाइस चॉन्सलर, एक ऑर्किविस्टः मुशीरुल हसन में संस्कृति और स्कॉलरशिप के सभी गुण थे। उनके काम और उनकी किताबें हमे रास्ता दिखाती रहेंगी।”
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia