हरियाणा सरकार के पास मुख्यमंत्री, मंत्रियों और राज्यपाल के भारतीय नागरिक होने के सबूत नहीं
आरटीआई में खुलासा, पूरे देश में एनआरसी लागू करने की इच्छा रखने वाली भाजपा शासित सरकार के पास दिग्गजों के ही प्रमाण न होने से हैरानी
असम की तरह पूरे देश में एनआरसी लागू करने की चाहत रखने वाली भाजपा शासित हरियाणा की सरकार के पास मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के भारतीय नागरिक होने का कोई सबूत मौजूद नहीं है। यही नहीं सरकार के पास हरियाणा के राज्यपाल समेत किसी मंत्री के भी भारतीय नागरिक होने का कोई प्रमाण नहीं है।
यह खुलासा एक आरटीआई के जरिये मांगी गई जानकारी से हुआ है। हरियाणा में भी एनआरसी लागू करने का ऐलान करने चुके प्रदेश के मुखिया को लेकर सरकार के पास इंडियन सिटिजनशिप से जुड़ा कोई दस्तावेजी सबूत न होना इस बात की तस्दीक है कि पूरे देश में इसके लागू होने के बाद पैदा होने वाली स्थिति को लेकर विपक्ष की आशंका सौ फीसदी सही है। जब एक मुख्यमंत्री, गवर्नर और मंत्रियों को लेकर इस तरह के कोई कागज नहीं हैं तो आम आदमी की स्थिति को सहज ही समझा जा सकता है। यह हालत तब है जब प्रदेश सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व एनआरसी के समर्थन में रैलियां कर रही है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री सचिवालय ने यह सूचना निर्वाचन आयोग के पास होने की संभावना व्यक्त करते हुए इस बारे में आरटीआई आवेदन को वापस लौटा दिया है। सरकार से यह जानकारी पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने मांगी थी। इस बारे में कपूर ने बताया कि उन्होंने 20 जनवरी को मुख्यमंत्री सचिवालय में आरटीआई आवेदन लगाकर सीएम मनोहरलाल खट्टर व उनके सभी मंत्रीमंडल सहयोगी मंत्रियों और राज्यपाल के भारतीय नागरिक होने के सबूतों की छाया प्रति मांगी थी। सीएम सचिवालय की जन सूचना अधिकारी एवं अधीक्षक पूनम राठी ने अपने 17 फरवरी के पत्र के जरिये बताया है कि यह सूचना उनके पास रिकार्ड में नहीं है। मांगी गई सूचना निर्वाचन आयोग के पास उपलब्ध होने की संभावना व्यक्त करते हुए आरटीआई आवेदन कपूर को वापस लौटा दिया गया है।
सूचनाधिकार कार्यकर्ता पीपी कपूर ने मुख्यमंत्री सचिवालय के राज्य सूचना अधिकारी के इस जवाब पर हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि जिनके अपने नागरिकता के प्रमाण पत्रों के रिकार्ड मौजूद नहीं हैं वो पूरे प्रदेश व देश की 135 करोड़ जनता से सबूत मांग रहे हैं। गौरतलब है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पिछले वर्ष सितंबर में असम की तरह ही हरियाणा में एनआरसी लागू करने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि परिवार पहचान पत्र पर हरियाणा सरकार तेजी से कार्य कर रही है। इसके आंकड़ों का उपयोग राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में भी किया जाएगा।
राज्य में महा जनसंपर्क अभियान के तहत पंचकूला में हरियाणा राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एचएस भल्ला के आवास पर पहुंचे खट्टर ने यह भी कहा था कि न्यायमूर्ति भल्ला सेवानिवृत्ति के बाद भी एनआरसी डेटा का अध्ययन करने के लिए असम जा रहे हैं। उनका यह डेटा राज्य में लागू होने वाले एनआरसी के लिए भी उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री के हरियाणा में भी एनआरसी लागू करने के ऐलान के बाद राज्य के सियासी गलियारों में काफी बयानबाजी हुई थी। भाजपा ने चुनावों में भी इस मसले को खूब उठाया था, लेकिन अब एक नए खुलासे से पार्टी पर सवाल उठने तय हैं। असम में पिछले वर्ष 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम लिस्ट जारी कर दी गई थी। सूची में राज्य के 19 लाख से अधिक लोग बाहर थे।
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