गुजरात सरकार में बगावत जारी, पुरुषोत्तम सोलंकी का ऐलान, कई विभागों का कैबिनेट मंत्री बनाओ, वर्ना 2019 पड़ेगा भारी
सुशासन का दावा करने वाली बीजेपी की गुजरात सरकार में ‘अच्छे’ और मनचाहे विभागों के लिए बगावत का दौर जारी है। नितिन पटेल के बाद अब कोली समाज के कद्दावर नेता पुरुषोत्तम सोलंकी ने धमकी दी है।
बीजेपी आलाकमान और अमित शाह ने नितिन पटेल के आगे घुटने क्या टेके, गुजरात बीजेपी में बगावतों का दौर शुरु हो गया है। अब कोली समुदाय के ताकतवर नेता पुरुषोत्तम सोलंकी ने बीजेपी नेतृत्व को आंखे दिखाई हैं कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलना चाहिए, वर्ना आने वाले दिन बीजेपी के लिए मुश्किल भरे साबित होंगे।
देश भर को विकास का मॉडल देने का दावा करने वाली बीजेपी के मंत्री अब ‘अच्छे’ और मनचाहे विभागों के लिए खुलेआम पार्टी और सरकार पर दबाव बना रहे हैं। विभागों की इस खींचातानी से मोदी के सुशासन के दावों की पोल भी खुल रही है।
पुरुषोत्तम सोलंकी सौराष्ट्र के प्रभावशाली नेता हैं और पांचवीं बार लगातार विधायक चुने गए हैं। पटेल समुदाय के नेता नितिन पटेल ने अल्टीमेटम देकर जिस तरह बीजेपी नेतृत्व को झुकने पर मजबूर किया, उससे सोलंकी के हौसले बुलंद हुए हैं, और उन्होंने चेतावनी जारी कर दी है कि उन्हें न सिर्फ कैबिनेट दर्जा दिया जाए, बल्कि और विभागों की कमान भी उन्हें सौंपी जाए। सोलंकी ने ऐलान किया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो बीजेपी को 2019 का चुनाव बहुत भारी पड़ेगा।
सोलंकी कोली समुदाय से आते हैं, जिसका तटीय गुजरात में काफी प्रभाव है। यूं भी गुजरात में कोली समुदाय की आबादी करीब 26 फीसदी है और सौराष्ट्र इनके वर्चस्व वाला इलाका है। सोलंकी ने कहा है कि, “मेरे समुदाय को पता है कि कोली समाज से अकेला मैं ही मंत्री हूं, ऐसे में मुझे अधिकार जिम्मेदार पद मिलना चाहिए।”
सोलंकी ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पर हमला बोलते हुए कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री ने अपने पास 12 विभाग रखे हैं और दूसरी तरफ पहली बार विधायक बने लोगों को तीन से चार महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि, “अकेला मैं ही हूं जिसके पास सिर्फ एक मंत्रालय है, वह भी मत्स्य विभाग जैसा गैर-महत्वपूर्ण मंत्रालय।”
कोली समुदाय के प्रचंड समर्थन के दम पर सोलंकी लगातार पांचवीं बार भावनगर ग्रामीण से चुनकर आए हैं। गुजरात की 40 से ज्यादा सीटों पर कोली समुदाय निर्णायक वोट बैंक है।
सोलंकी के बगावती तेवरों से सकपकाई बीजेपी आलाकमान ने भूपेंद्र सिंह चुडासमा को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे सोलंकी को मनाएं। चुडासमा ने ही नितिन पटेल मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सोलंकी के मामले पर चुडासमा ने पत्रकारों को बताया कि, “सोलंकी पार्टी से नाराज नहीं हैं। वे एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने सिर्फ अपने समुदाय की भावनाओं को मुख्यमंत्री के सामने रखा है। इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि पार्टी में किसी किस्म का कोई संकट है।”
वहीं दूसरी तरफ सोलंकी ने कहा है कि, “मुझे इस बार सिर्फ मत्स्य विभाग जैसा एकमात्र विभाग दिया गया है, जबकि पिछली चारों बार मुझे पशुपालन विभाग भी दिया गया था। पूरे गुजरात में कोली समुदाय की जनसंख्या को देखते हुए, मैं इस इकलौते विभाग का क्या करूंगा। ऐसे में मेरा दफ्तर जाने का मन ही नहीं होता।”
उन्होंने कहा कि, “मेरे समुदाय के लोग चाहते हैं कि सरकार मुझे कुछ और विभाग दे। मैंने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से मिलकर अपनी बात रखना चाही, लेकिन उनका दफ्तर भीड़ भरा था, इसलिए मेरी उनसे खुलकर बात नहीं हो पाई।”
रोचक तथ्य यह है कि जिस तरह उत्तर प्रदेश और बिहार में जातियों से जुड़े कद्दावर नेता उभर कर पार्टी और सरकारों पर दबाव बनाते रहे हैं, वैसा ही अब गुजरात में नजर आ रहा है। ये क्षत्रप अपने हिसाब से अच्छे मंत्रालयों के लिए पार्टी और मुख्यमंत्री को अल्टीमेटम दे रहे हैं और उन्हें झुकाते दिख रहे हैं।
पुरुषोत्तम सोलंकी बड़े जनाधार वाले नेता हैं और उनकी नाराजगी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए चिंता का विषय साबित हो सकती है। इसके पहले पाटीदार नेता और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने वित्त, शहरी विकास और पेट्रोकेमिकल विभाग छिन जाने पर बगावत का ऐलान कर दिया था। आखिरकार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को दखल देना पड़ा और उनको वित्त विभाग देकर मना लिया गया।
पुरुषोत्तम सोलंकी पिछली चार सरकारों में राज्यमंत्री बनते आ रहे हैं। अगले महीने गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में कोली- पटेल वोटरों को देखते हुए बीजेपी आलाकमान सोलंकी की नाराजगी की धमकी को नजरंदाज नहीं कर सकता है।
गुजरात में पिछले 22 साल से बीजेपी की सरकार है। लगातार छठी बार पार्टी ने राज्य की सत्ता हासिल की है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और बीजेपी 99 के आंकड़े पर सिमट गई। कांग्रेस को पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी अपना समर्थन दिया था।
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