विष्णु नागर का व्यंग्य: घोटालेश्वर चौहान जी महाराज!
शिवराज जी ने श्रद्धापूर्वक कहा कि महाराज मुझ गरीब के पास और है क्या सिवाय राज्य मंत्री पद देने के तो संतों ने उसे ले लिया। ठीक है बच्चा, जो झोली में डाल सकता है, डाल।
-क्यों कुछ सुना तुमने?
-क्यों कुछ खास हो गया क्या?
-अरे खुशखबरी है। लोग कह रहे हैं कि अब तो संत भी बिकने लगे!
-संत और बिकने लगे? लोग तो फ्रस्ट्रेटेड हैं, आजकल कुछ भी बकने लगे हैं। अरे संत तो योग-अध्यात्म बेचना छोड़कर अब चावल, साबुन, क्रीम वगैरह न जाने क्या-क्या बेचने लगे हैं, अंबानी -अडानी बनने में व्यस्त हो गए हैं, विज्ञापन देकर टीवी न्यूज खरीद रहे हैं, वे क्यों बिकेंगे। हां जो उनसे खरीदना चाहे, उसका स्वागत है।
-अरे अपने मध्य प्रदेश वाले इस मामले में पिछड़े हैं न! जो बेचारे मुख्यमंत्री जी का महाघोटाला उजागर करने यात्रा पर जानेवाले थे, उन्हें सिर्फ एक दिन पहले अर्जेंट मीटिंग के लिए भोपाल बुलाकर सस्ते में खरीद लिया गया।
-मध्य प्रदेश में बिक गए और खरीद लिए गए? खबरदार जो हिंदू राज्य के बारे में ऐसी गंदी बात आगे कभी की तो और वह भी महापवित्र संतों के बारे में! वे एमपी-एमएलए हैं क्या?
-मामला यह है कि कुछ संत महाघोटाला यात्रा निकालने वाले थे। उनका कहना था कि प्रदेश में 6.67 करोड़ पेड़ लगाने के नाम पर महाघोटाला हुआ है। इसका हम पर्दाफाश 1 अप्रैल से यात्रा निकालकर करेंगे, लेकिन इससे पहले कि वे ऐसा कर पाते उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी से युक्त कर दिया गया। गाड़ी- बंगला- वेतन मिल गया। अब 'जन जागरण यात्रा' निकालेंगे।
-लेकिन 'जन जागरण' भी तो महाघोटाले के बारे में ही करेंगे न, अच्छा है। मंत्री भी हैं, गाड़ी- बंगला भी है और महाघोटाले के बारे में जन जागरण भी है। अरे संत हैं तो ऐसे मानेंगे थोड़े ही! फर्क यह है कि सरकारी सुविधाएं लेकर करेंगे। यह तो लोकतंत्र के महाआदर्श का महाउदाहरण है, जो हमारा महान प्रदेश, पूरे देश क्या पूरे विश्व के सामने ला रहा है। लगता है भारत वाकई विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर है।
- तुम भोले हो या मूर्ख हो या निरे बच्चे हो!
-अरे दिखता नहीं मैं बुढ़ा रहा हूं! बूढ़ा आदमी भोला नहीं होता, सारी मूर्खताएं करके वह चालाक बन चुका होता है।
-वह तो दिख रहा है साफ-साफ, लेकिन लगता नहीं है कि ऐसे हो। बूढ़े हो गये हो मगर अक्ल से बच्चे हो।
-थैंक्यू-थैंक्यू, आजकल कौन किसी बहाने भी बूढ़े को बच्चा नहीं कहता! अरे, अक्ल से ही सही, कुछ तो है न मुझमें बच्चों सा!
-अरे तुम तो दो-ढाई साल के बच्चे से भी गये-गुजरे हो। राज्यमंत्री बनकर महाघोटाले की बात करने के लिए जन जागरण करेंगे संत? वे संत हैं, तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं। अक्ल की कमी के कारण वे संत नहीं बने हैं, बल्कि अक्ल की बहुतायत थी। अन्यत्र उसका सदुपयोग संभव नहीं रह गया था, इसलिए संत बने थे। अब घोटाला महा तो क्या घोटाला भी नहीं रहनेवाला है। अब बाबा लोग स्वच्छता, पौधारोपण-संरक्षण आदि के लिए जन जागरण करेंगे। महाघोटाला गया तेल लेने।
-तब यह तो एक और महाघोटाला है।
- नहीं संत, न घोटाला करते हैं, न महाघोटाला। न खुद करते हैं, न करवाते हैं। हां अगर कोई करना चाहे, कर दे, तो उसे आशीर्वाद अवश्य दे देते हैं क्योंकि उनके पास देने के लिए और होता क्या है? फकत आशीर्वाद। हां देनेवाले की जो श्रद्धा हो, दे जाए। शिवराज जी ने श्रद्धापूर्वक कहा कि महाराज मुझ गरीब के पास और है क्या सिवाय राज्य मंत्री पद देने के तो उसे ले लिया। ठीक है बच्चा, जो झोली में डाल सकता है, डाल।
- और वैसे भी संतों-महात्माओं का काम तो किसी की न बुराई करना होता है, न किसी की बुराई देखना न बुराई लेना। जिसे जगत गति नहीं व्याप्ति, वही तो संत हो सकता है और कोई संत हो और कलयुग में उसे जगत गति व्याप्त ही जाए लेकिन संत भी बने रहने की विवशता हो, तो फिर वह या तो सांसद बनकर केंद्र में मंत्री हो जाता है या फिर किसी राज्य का मुख्यमंत्री होकर भगवा रंग की लाज बचाता है।
-लेकिन ये संत तो महज राज्य मंत्री बन कर भगवा की लाज बचाने लग गए!
-अरे ये सच्चे संत हैं न, जो मिल गया, ले लिया। बिना विधायक बने इतना मिल गया तो समझो, उनकी तो, आध्यात्मिक साधना सफल हो गई। पद में ही ईश्वर है, योग है, तप है, ब्रह्मचर्य है।
-सही है। अब देखिए न, पद मिला तो यहां से वहां तक सारा घोटाला छूमंतर हो गया।आंखों की शर्म तक यूं हवा हो गई। पी सी सरकार को आता था क्या ऐसा उच्चस्तरीय जादू?
-चलो इस खुशी में अपन चाय पीते हैं।
-क्यों महाघोटाले का भी महाघोटाला हो गया हमारे प्रदेश में और इसकी खुशी में सिर्फ चाय? इंदौर को देश में बदनाम करने का इरादा है क्या? हम पहले जलेबी-पोहा खाएंगे, फिर चाय पिएंगे, फिर सिगरेट फूंकेंगे, तब दाल-बाफला टाइप असली आनंद आएगा। वे संत हैं तो हम भी असंत नहीं हैं।बोल शिवराज सिंह चौहान की जय। नरबदा मैया की जय। सब संतन की जय। जीतेगा भई जीतेगा, संत शिरोमणि चौहान जीतेगा। चलो राज्य मंत्री नर्मदेश्वर जी एक सौ एक कुंडीय महायज्ञ फिर से शिवराज जी की विजय हेतु करनेवाले होंगे, उसमें आहूति देने चलते हैं।
-चलो।
लेफ्ट-राइट-लेफ्ट।
अबे फिर गड़बड़ किया। कहां धरा अब लेफ्ट? अब तो है सब है राइट। बोल राइट-राइट, राइट- राइट, राइट ,राइट राइट...
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