एक और नोटबंदी के लिए हो जाइए तैयार, अबकी बार 2000 के नोट पर होगा वार?
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का राष्ट्रीयकरण खत्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने, आरबीआई के बजाय निजी स्तर पर ऋण प्रबंधन तथा ऑफ-बजट उधार की परिपाटी को खत्म करने समेत 2000 रुपए के नोट को प्रचलन से बाहर करने वाले कुछ सुझाव दिए हैं।
अगर मोदी सरकार ने पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का सुझाव माना तो लोगों को एक बार फिर से नोटबंदी से दो-चार होना पड़ेगा। दरअसल पूर्व वित्त सचिव ने सरकार को 2000 रुपये के नोट का प्रचलन पूरी तरह से बंद करने का सुझाव दिया है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के द्वारा दिए गए सुझावों पर अगर सरकार पूरी तरह से अमल करती है, तो फिर यह जल्द हो सकता है।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का राष्ट्रीयकरण खत्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने, आरबीआई के बजाय निजी स्तर पर ऋण प्रबंधन तथा ऑफ-बजट उधार की परिपाटी को खत्म करने समेत 2000 रुपए के नोट को प्रचलन से बाहर करने वाले कुछ सुझाव दिए हैं।
गर्ग ने गुरुवार को 72 पेजों में 2000 के नोट को बंद करने के अलावा कई और भी सुझाव दिए हैं। गर्ग पहले वित्त मंत्रालय में सचिव थे, जिसके बाद उनका तबादला उर्जा मंत्रालय में कर दिया गया था। तबादला होने के बाद उन्होंने 31 अक्तूबर को वीआरएस के जरिए रिटायरमेंट ले लिया है।
गर्ग ने कहा कि उच्च ऋण स्तर “हमारी क्रेडिट रेटिंग पर एक बाधा है” और राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन ऋणों को चुकाने में व्यय होता है।” गर्ग ने वित्त सचिव का पद छोड़ने से पहले 100 प्रमुख नीतियों और शासन तथा अर्थव्यवस्था में सुधार संबंधी सुझावों से जुड़े नोट की एक प्रति सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी थी।
2000 रुपए के करेंसी नोटों पर गर्ग ने कहा, “ 2000 रुपए का एक अच्छा हिस्सा प्रचलन में नहीं है। इन्हें रोका गया है। ट्रांजैक्शन के रूप में फिलहाल 2000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। बिना किसी बाधा को उत्पन्न किए, इसे तुरंत प्रचलन से बाहर किया जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गर्ग ने सरकार को सभी सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण खत्म करने के साथ ही निजीकरण को बढ़ावा देने और आरबीआई के बजाए अपने खर्चों को खुद ही मैनेज करने का सुझाव भी दिया है। इसके साथ ही बजट बाद उधारी लेने को बंद करने के लिए भी कहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मिली जानकारी के अनुसार, 10 रुपए के एक नोट की छपाई में 70 पैसे खर्च होते हैं, जबकि 2,000 रुपए का एक नोट 4.18 रुपए में छपता है। लेकिन दोनों नोटों के मूल्य में भारी फर्क है। इसके अलावा नोटों की छपाई वाले कागजों की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
पहले 10 रुपए मूल्य का एक नोट 40 पैसे में छपता था, जो अब 70 पैसे में छपता है। इस कारण भी छोटे नोटों की छपाई का खर्च बड़े नोटों की छपाई के मुकाबले बढ़ रहा है। सरकार ने एक, दो और पांच रुपये के नोट समय रहते इसलिए बंद कर दिए थे क्योंकि उनके छपाई का खर्च लगातार बढ़ रहा था।
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Published: 08 Nov 2019, 3:24 PM