इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के आरोप में निर्मला सीतारमण, जे पी नड्डा और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज
उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बॉण्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।
चुनावी बॉण्ड योजना से संबंधित एक शिकायत के बाद बेंगलुरु की एक अदालत के निर्देश पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ शनिवार को मामला दर्ज किया गया।
पुलिस के अनुसार एक विशेष अदालत के आदेश के आधार पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बी वाई विजयेंद्र, पार्टी नेता नलिन कुमार कटील का भी नाम प्राथमिकी में दर्ज है।
जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा उठाया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के फायदे के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की।
इसमें कहा गया है, ‘‘चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली का काम विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था।’’
जेएसपी के वकील एस बालन ने बीबीसी हिंदी से कहा, “निर्मला सीतारमण और ईडी निदेशालय सूत्रधार हैं जबकि नड्डा और विजेंद्र इसमें सहयोग करने वाले हैं।”
कोर्ट को दी गई शिकायत में कहा गया है, ''आरोपी संख्या एक (निर्मला सीतारमण) ने आरोपी संख्या दो (ईडी) की गुप्त सहायता और समर्थन के ज़रिए राष्ट्रीय स्तर पर आरोपी संख्या तीन (नड्डा) और कर्नाटक राज्य में आरोपी संख्या चार (कतील) के लाभ के लिए हज़ारों करोड़ रुपये की उगाही करने में मदद की।''
उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बॉण्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।
मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कारण विपक्षी बीजेपी ने उनका इस्तीफा मांगा है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘बीजेपी नेताओं के तर्क के अनुसार, निर्मला सीतारमण को अब इस्तीफा दे देना चाहिए, है ना।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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