किसान आंदोलन: सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठनों की बैठक, हो सकता है कोई बड़ा फैसला!
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन गुरुवार को 57वें दिन जारी है। आंदोलन समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पंजाब के किसानों की सिंघु बॉर्डर पर एक बैठक हो रही है।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन गुरुवार को 57वें दिन जारी है। आंदोलन समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पंजाब के किसानों की सिंघु बॉर्डर पर एक बैठक हो रही है। केंद्र सरकार ने किसानों को नये कृषि कानूनों के अमल पर डेढ़ साल यानी 18 महीने तक रोक लगाने और इस बीच किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों की कमेटी बनाकर तमाम मसलों का समाधान करने का प्रस्ताव दिया है। किसान प्रतिनिधियों ने आईएएनएस को बताया कि सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर पहले पंजाब के किसान संगठनों के बीच विस्तृत चर्चा होगी और सबकी सहमति बनने के बाद उस पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में चर्चा होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दोपहर दो बजे से शुरू होगी।
सर्व हिंद राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार कक्का ने कहा कि किसान आंदोलन में सबसे बड़ा समूह पंजाब का है और इस प्रस्ताव पर पंजाब के किसानों की सहमति बनने के बाद दोपहर दो बजे से होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों का फैसला बहुमत से नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होता है। इसलिए सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर जब सर्वसम्मति बनेगी तभी सरकार के पास इस पर सहमति जताई जाएगी।
बैठक में जाने से पहले पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने भी कहा कि सभी किसानों की सहमति से ही इस पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, हमलोग आज सरकार के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं अगर सबकी सहमति बनेगी तो हम शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता में अपना निर्णय बता देंगे, लेकिन अब तक हमारी वही मांग है कि तीनों कानूनों को सरकार वापस ले क्योंकि ये कानून किसानों के हित में नहीं है।
लाखोवाल से जब आईएएनएस ने पूछा कि क्या किसी राजनीतिक दल के उकसावे में किसानों का यह आंदोलन चल रहा है। इस पर उन्होंने कहा, यह आंदोलन किसानों का है और किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। किसान किसी के उकसावे में नहीं है और सरकार के प्रस्ताव पर जो भी फैसला होगा वह खुद किसान ही लेगा।
उन्होंने कहा, हम बस यही चाहते हैं कि किसानों के साथ कोई धोखा न हो। हरिंदर सिंह ने कहा कि बुधवार को एमएसपी के मसले पर कोई ठोस बातचीत नहीं हुई जोकि एक अहम मसला है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान डेरा डाले हुए हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इन कानूनों के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी है और इस पर विचार-विमर्श के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर दी है। इस बीच बुधवार को किसान संगठनों के साथ हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों को इन कानूनों के कार्यान्वयन को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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