नहीं जीना चाहता निर्भया के गुनहगारों का परिवार, राष्ट्रपति से लगाई गुहार, कहा- हमें भी मरना है
निर्भया के गुनहगार फांसी की सजा से बचने के लिए आए दिन नए पैतरे लगा रहे हैं तो उनके परिवारवाले भी उनका साथ दे रहे हैं। अब दोषियों के परिवार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।
16 दिसंबर 2012 निर्भया गैंगरेप केस में गुनहगारों द्वारा फांसी को टालने की हर संभव कोशिश की जा रही है। निर्भया के दोषी फांसी की सजा से बचने के लिए आए दिन नए पैतरे लगा रहे हैं। इस कोशिस में उनके परिवारवाले भी उनका साथ दे रहे हैं। गुनहगारों के परिवार वाले जो कभी कोर्ट के बाहर दोषियों को फांसी की सजा नहीं देने की मांग करते थे, वो अब इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं। आपको बता दें, निर्भया के दोषियों के परिवारवालों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कर इच्छा मृत्यु की मांग की है।
रविवार को निर्भया केस के चारों दोषियों के परिवार ने राष्ट्रपति से अपने लिए इच्छा मृत्यु की इजाज़त मांगी है। 13 लोगों ने खत लिखकर इच्चा मृत्यु की मांग की है। इच्छा मृत्यु की मांग करने वालों में दोषी मुकेश के परिवार के दो लोग, दोषी पवन और विनय के परिवार के चार-चार लोग और अक्षय के परिवार के 3 सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है।
बता दें कि निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और 'संवैधानिक अनियमितताएं' थीं। आपको बता दें, निर्भया के दोषी की फांसी की तारीख तीन बार टल गई है।
पहला डेथ वारंट
निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ जारी किए गए पहले डेथ वारंट जारी कर 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश सुनाया था।
दूसरा डेथ वारंट
निर्भया के दोषियों के खिलाफ दूसरा डेथ वारंट 17 जनवरी को जारी कर 1 फरवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर की गई थी।
तीसरा डेथ वारंट
निर्भया केस में तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी कर दोषियों को 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया था। लेकिन, 2 मार्च को यानि फांसी की तारीख से एक दिन पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी।
गौरतलब है कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात फिथिजियोरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और लगभग 15 दिन बाद मौत हो गई थी। बाद में निर्भया नाम दिया गया था। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं, किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।
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