दिल्ली आबकारी नीति मामला: केजरीवाल की याचिकाओं पर पांच सितंबर तक टली सुनवाई
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ आगे की जांच में जुटी।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पांच सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी तथा केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया।
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने केवल एक याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है और इसे बृहस्पतिवार रात आठ बजे उन्हें सौंपा गया।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि वह एक सप्ताह में जवाब दाखिल करेंगे। इसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तारीख तय की।
केजरीवाल ने उन्हें जमानत से इनकार किए जाने और मामले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच अगस्त के आदेश को चुनौती दी है।
शीर्ष अदालत ने मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से 14 अगस्त को इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी से जवाब मांगा था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को पांच अगस्त को वैध ठहराया था और कहा था कि सीबीआई के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं है। अदालत ने कहा था कि सीबीआई यह साबित करने में सक्षम रही है कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके थे।
उच्च न्यायालय ने उन्हें सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ आगे की जांच में जुटी।
अदालत ने कहा था कि अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के प्रभाव की वजह से महत्वपूर्ण गवाह सामने नहीं आ रहे थे। न्यायाधीश ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।
केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था और धनशोधन मामले में निचली अदालत ने 20 जून को उन्हें जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने हालांकि निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को उन्हें धनशोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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