केंद्र के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस ने किया पूर्व सैनिकों का अपमान, बदसुलूकी कर जंतर-मंतर से खदेड़ा
तंत्र में विरोध-प्रदर्शन का बहुत महत्व होता है और इसी का पर्याय बन चुका राजधानी दिल्ली का जंतर-मंतर शांत हो गया। दिल्ली पुलिस ने यहां धरने दे रहे पूर्व सैनिकों के तंबू उखाड़ कर वहां से खदेड़
मोदी सरकार एक तरफ तो चुनावी फायदों और राजनीति के लिए सीमा की सुरक्षा में तैनात सैनिकों के हितों की बात करती है, वहीं देश के लिए अपनी जिंदगी लगा देने वाले पूर्व सैनिकों से उनके बुनियादी हक भी छीन रही है। वन रैंक वन पेंशन लागू करने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर धरना दे रहे पूर्व सैनिकों को 30 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस ने तितर बितर कर दिया और उनके तंबू और अस्थाई ढांचे उखाड़ दिए।
ये वरिष्ठ पूर्व सैनिक दो साल से अधिक समय से वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई है। एनजीटी ने पांच अक्टूबर को इस इलाके में धरना-प्रदर्शन पर रोक का आदेश दिया था।
पुलिस का दावा है कि प्रदर्शनकारियों को पहले ही एनजीटी के आदेश के बारे में बता दिया गया था, लेकिन पूर्व सैन्यकर्मियों ने इसे आवाज दबाने की कोशिश करार दिया है। प्रदर्शनकारियों में शामिल मेजर जनरल (रिटायर्ड) सतबीर सिंह का कहना है कि पुलिस और एमसीडी के अधिकारी एक जेसीबी मशीन के साथ आए और उनके तंबुओं और दूसरे अस्थाई ढांचों को ढहा दिया। उन्होंने बताया कि पुलिस वाले उनके उपकरण और बिस्तर जैसे सारे सामान भी लेकर चले गए।
उन्होंने बताया कि वे ओआरओपी लागू करने की मांग पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर कोई आदेश है भी तो उसे लागू करने का एक तरीका होता है। लेकिन पुलिस ने जो किया है वह पूरी तरह से गलत और अन्यायपूर्ण है। सिंह ने बताया कि जिस समय यह अभियान चलाया गया उस समय एक पूर्व सैन्यकर्मी की पत्नी तंबू में थी। पुलिस ने किसी तरह के बल प्रयोग से इंकार किया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इसे सैनिकों का अपमान बताया है। उन्होंने एक ट्वीट करके कहा कि ‘सैनिकों का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’। सुरेजवाला ने अपने ट्वीट के साथ वरिष्ठ सैनिकों को हटाए जाने का एक वीडियो भी शेयर किया है।
इस बीच जंतर-मंतर धरना प्रदर्शन समिति की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने की भी बात कही है, लेकिन फिलहाल अभी याचिका दायर नहीं की गई है।
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Published: 30 Oct 2017, 10:58 PM