गौरी लंकेश की हत्या: नफरत से भरी है दक्षिणपंथियों की प्रतिक्रियाएं
ऐसा लगता है कि गौरी लंकेश की कायरतापूर्ण हत्या से भी दक्षिणपंथी ट्रोल समूहों को चैन नहीं मिला। सोशल मीडिया पर इस विचारधारा के कई लोग इस जघन्य हत्या को सही ठहराने की पूरी कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं।
ऐसा लगता है कि गौरी लंकेश की कायरतापूर्ण हत्या से भी दक्षिणपंथी ट्रोल समूहों को चैन नहीं मिला। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर इस विचारधारा के कई लोग इस जघन्य हत्या को सही ठहराने की पूरी कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं।
बेंगलुरु में मंगलवार की शाम संपादक-पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के कुछ ही देर बाद दक्षिणपंथी झुकाव वाले टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वाले संपत्ति विवाद को इस हत्या की वजह बताने की कोशिश करने में जुट गए। इनमें से कई ने अपनी खुशी छिपाते हुए इस बात की आशंका जताई कि गौरी की हत्या माओवादियों या उदार सोच रखने वालों ने की हो।
बीजेपी के राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने ट्वीट किया, ‘गौरी लंकेश की अफसोसजनक मौत। क्या राजनीति की वजह से हत्या हुई या हत्या ने राजनीति को जन्म दिया?’
कट्टरता, जातिवाद, इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिकता फैलाने की आरोपी रह चुकी जी न्यूज की एक पूर्व प्रोड्यूसर ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा, ‘वामपंथी गौरी लंकेश की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई है। जैसा कि कहा जाता है तुम्हारे कर्म हमेशा तुम्हें डराने के लिए तुम्हारे पास लौटते हैं। आमीन।’
हत्या पर एक के बाद एक कई ट्वीट कर उसने बेहद कटुता से मृत संपादक और एक्टिविस्ट को नक्सल समर्थक और हिंदू विरोधी बताया। इससे भी ज्यादा अचंभा तब हुआ जब उसने ट्वीट किया, ‘राम रहीम के अनुयायियों और गौरी लंकेश के समर्थकों के बीच कोई खास अंतर नहीं है।’ हालांकि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बीजेपी के कई नेता और मंत्री राम रहीम के अनुयायी रहे हैं।
इस हत्या से खुश होने वाले संवेदनहीन लोगों में वह अकेली नहीं थी। कई दक्षिणपंथी सोच वाले ट्वीट में मृतक गौरी का उपहास किया गया और ताने मारे गए। इसमें सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बात यह है कि ऐसे लोग योजनाबद्ध और सुनियोजित तरीके से की गई इस हत्या का जश्न मनाते नजर आ रहे हैं।
हिंदुत्व की प्रखर आलोचक रहीं गौरी लंकेश कन्नड़ पत्रिका गौरी लंकेश पत्रिके का संपादन करती थीं। गौरी की गिनती सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वाले सबसे साहसी लोगों में की जाती रही है। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने से गौरी कभी नहीं हिचकिचाती थीं। इसी वजह से उनका राजनीतिक सत्ता, समूहों और यहां तक कि न्यायपालिका से भी संघर्ष जारी था। लेकिन जहां उन्हें मीडिया और नागरिक समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा सम्मान दिया जाता था, वहीं बड़ी संख्या में उनके आलोचक भी थे।
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस के साथ सेल्फी और पीएम मोदी द्वारा ट्विटर पर फॉलो किए जाने वाले एक शख्स ने अपनी ट्वीट में इस बात पर ताने मारे कि दिंवगत पत्रकार जेएनयू के छात्र नेताओं कन्हैया कुमार औऱ उमर खालिद से जुड़ी हुई थीं। गौरी लंकेश कन्हैया कुमार और गुजरात के दलित नेता और वकील जिग्नेश मेवानी को बेटों की तरह मानती थीं।
कई ट्वीट्स में लंकेश उपनाम होने की वजह से उन्हें रावण कहकर संबोधित किया गया। हिंदू महाकाव्य में रावण लंका का दैत्य राजा था।
हर बात में साजिश ढूढ़ने वाले कई दक्षिणपंथी सिद्धांतकारों ने इस हत्या के खिलाफ बुधवार को देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का मजाक उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। इनमें से कई लोगों ने गौरी की हत्या के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जिन पर वे भरोसा करती थीं।
कई लोगों ने इस तरह की नफरत फैलाने वाले वाले साइबर गुंडों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। लेकिन क्या सरकार इस बात को सुन रही है?
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Published: 06 Sep 2017, 7:42 PM