राम मंदिर के नाम पर जमा 1400 करोड़ रुपए डकार गया विश्व हिंदू परिषद: निर्मोही अखाड़े का आरोप

अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की पहल करने वाले श्री श्री रविशंकर पर कई हिंदू संगठनों ने निशाना साधा है। मामले के हिंदू पक्षकारों के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर द्वारा राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता की पहल ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। 16 नवंबर को श्री श्री के अयोध्या पहुंचने से पहले ही उनकी पहल के विरोध में कई तरह के बयान सामने आने लगे थे। श्री श्री द्वारा अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की पहल किए जाने से मंदिर आंदोलन पर दावा करने वाले कई हिंदूवादी संगठन नाराज हैं। इसी के चलते 15 नवंबर को बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने श्री श्री पर कई गंभीर आरोप लगाए और उनके मंदिर विवाद में उतरने पर सवाल खड़े किए। वेदांती ने कहा, “श्री श्री रविशंकर कौन होते हैं मध्यस्थता करने वाले? उन्हें अपना एनजीओ चलाना चाहिए और विदेशी फंड लेना जारी रखना चाहिए।” वेदांती ने आगे कहा “मेरा मानना है कि श्री श्री ने अकूत धन-संपत्ति जमा कर रखी है और किसी तरह की जांच से बचने के लिए वह राम मंदिर विवाद में कूद पड़े हैं।”

इतना ही नहीं, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में एक महत्वपूर्ण पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) पर राम मंदिर के नाम पर घोटाला करने का आरोप लगाया है। निर्मोही अखाड़े के महंत सीताराम दास ने आरोप लगाया कि राम मंदिर के निर्माण के नाम पर विहिप ने 1400 करोड़ रुपये वसूले हैं। निर्मोही अखाड़ा का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर उन्होंने कभी कोई पैसा नहीं लिया है, जबकि विहिप ने मंदिर निर्माण के नाम पर लोगों से पैसे लिए और अपने भवन का निर्माण कराया। सीताराम ने कहा, “राम मंदिर विवाद में हमलोग मुख्य पक्ष हैं, लेकिन इस मुद्दे पर नेताओं ने कब्जा कर लिया।” सीताराम ने बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए साफ कहा कि मंदिर निर्माण के नाम पर जुटाए गए पैसों के इस्तेमाल से उन्होंने सरकार भी बना ली। उन्होंने कहा कि नेताओं ने राम मंदिर के नाम पर वोट और नोट दोनों कमाए, लेकिन राम मंदिर के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया। सीताराम ने आरोप लगाया कि वीएचपी ने घर-घर जाकर लोगों से एक-एक ईंट और पैसा मांगा और फिर वे इन पैसों को खा गए।

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निर्मोही अखाड़े के बयान पर बवाल मचने के बाद विहिप ने इसे खारिज करते हुए सफाई दी है। विहिप नेता विनोद बंसल ने सीताराम के आरोपों पर कहा कि ये आरोप गलत हैं और विहिप ने अपने स्थापना वर्ष 1964 से लेकर अब तक चंदे में मिले सारे पैसे का हिसाब दिया है। बंसल ने कहा कि राम मंदिर के लिए वीएचपी ने कभी किसी से एक पैसा भी नहीं लिया। मंदिर आंदोलन पर दावा करने वाले विभिन्न संगठनों के इस आपसी टकराव ने दक्षिणपंथी विचारधारा के कई लोगों परेशान कर दिया है। केरल के दक्षिणपंथी झुकाव वाले सामाजिक कार्यकर्ता राहुल इस्वर ने इस पूरे विवाद पर दुख जताते हुए ट्वीट किया, “निर्मोही अखाड़ा ने विश्व हिंदू परिषद पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। अखाड़े ने आरोप लगाया कि विहिप ने पैसे लिए और वोट के लिए राम मंदिर का इस्तेमाल किया। वेदांती कहते हैं कि मंदिर आंदोलन में अखाड़े की कोई भूमिका नहीं है। यह देख कर दुख होता है कि हिंदू पक्ष आपस में झगड़ रहे हैं। आशा करता हूं कि श्री श्री रविशंकर इसको सुलझा पाने में सफल होंगे।”

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े विभिन्न संगठनों के इस आपसी विवाद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इन संगठनों के साथ-साथ मध्यस्थता की पहल करने वाले श्री श्री की मंशा पर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। यहीं नहीं, पहल के पीछे बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के मुख्यमंत्री के बीच भी समन्वय न होने की बात कही जा रही है, क्योंकि मध्यस्थता के लिए यूपी पहुंचे श्री श्री से मुलाकात के एक दिन बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यूज चैनल से बात करते हुए इस पूरी गतिविधि पर कहा कि अब बातचीत में बहुत देर हो चुकी है।

राम मंदिर के नाम पर जमा 1400 करोड़ रुपए डकार गया विश्व हिंदू परिषद: निर्मोही अखाड़े का आरोप

उन्होंने यह भी कहा कि श्री श्री से मुलाकात के दौरान राम मंदिर के मुद्दे पर विस्तार से कोई बातचीत नहीं हुई। योगी के इन बयानों से साफ पता चलता है कि अयोध्या विवाद में मध्यस्थता को लेकर वह बहुत उत्साहित नहीं हैं। जब राज्य का मुख्यमंत्री ही मध्यस्थता की किसी पहल पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे तो इसके मायने निकाले जा सकते हैं।

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Published: 17 Nov 2017, 4:56 PM