मध्यप्रदेश: ‘कमल-ज्योति’ की आभा में कांग्रेस की रणनीतिक घेरेबंदी से कसमसाया विपक्ष
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में कमलनाथ को अध्यक्ष और ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर पूरे राज्य की रणनीतिक घेरेबंदी कर ली है। इससे विपक्ष कसमसाया नजर आ रहा है
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश चुनावों के लिए ऐसी बिसात बिछाई है, जो आने वाले दिनों में विरोधियों के लिए चक्रव्यू साबित होगी। महाकौशल से आने वाले कमलनाथ को प्रदेशाध्यक्ष और ग्वालियर संभाग से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने ऐसी रणनीति बनाई है, जिसमें विपक्षी दल को संभलने का मौका मिलने की संभावना न के बराबर है। इतना ही नहीं इस साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने पूरे मध्य प्रदेश की एक तरह से चौहद्दी कर दी है।
काफी इंतजार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त करने की गुरुवार को घोषणा कर दी। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में चार कार्यवाहक अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं। इनमें विधायक जीतू पटवारी, बाला बच्चन, रामनिवास रावत और सुरेंदर चौधरी शामिल है।
मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस की इस रणनीति से साफ हो गया है कि इस बार का विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा। कमलनाथ को प्रदेश की कमान सौंपना और सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाना एक मास्टर स्ट्रोक है। इसके साथ ही चार कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त करके कांग्रेस ने समाज के हर वर्ग को साधने की कोशिश की है।
मध्य प्रदेश में सांगठनिक फेरबदल की काफी समय से चर्चा थी। वरिष्ठ नेता कमलनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री और युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया और अशोक गहलोत ने पार्टी नेतृत्व के साथ मिलकर काफी सोच-विचार करते हुए सारी रणनीति बनाई।
कमलनाथ प्रदेश में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता है। प्रदेश के हर नेता से उनके अच्छे संबंध है। कमलनाथ के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस में गुटबाजी की संभावनाओं पर एक तरह से विराम लग जाता है। वहीं सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष और जीतू पटवारी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने युवाओं को अपने साथ लाने की कोशिश की है। दोनों ही नेताओं की छवि युवाओं के बीच बहुत अच्छी है और मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भारी पड़ती है।
दरअसल कांग्रेस की रणनीति पूरे मध्य प्रदेश को साधने की रही है। कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने महाकौशल में अपना प्रभाव बढ़ाया है। गौरतलब है कि कमलनाथ द्वारा छिंदवाड़ा में किये गए विकास का लोहा पूरा प्रदेश मानता है। 2014 की मोदी लहर में भी कमलनाथ छिंदवाड़ा से भारी वोटों से जीते थे। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने से ग्वालियर संभाग को तो साधा ही है, साथ ही युवाओं को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। सिंधिया युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है और उनकी साफ छवि से पार पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी। हाल ही में कोलारस-मुंगावली में हुए विधानसभा उपचुनाव भी कांग्रेस ने सिंधिया के नेतृत्व में ही जीता था।
कांग्रेस को पिछले चुनाव में सर्वाधिक नुकसान निमाड़-मालवा क्षेत्र से हुआ था। मालवा को साधने के लिये कांग्रेस ने इंदौर से विधायक जीतू पटवारी को प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया है। जीतू पटवारी पिछड़ा वर्ग के खाती समाज से आते है, जिसका मध्यप्रदेश के तकरीबन 10 जिलों में खासा प्रभाव है। वहीं निमाड़ क्षेत्र, जहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव आते है, वहां से कांग्रेस ने बड़वानी के विधायक बाला बच्चन को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। बाला बच्चन भील-भिलाला आदिवासी समाज के बीच काफी अच्छी पकड़ रखते है। जिसका अलीराजपुर, झाबुआ, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा और बुरहानपुर में अच्छा प्रभाव है।
इसके साथ ही चंबल संभाग को साधते हुए कांग्रेस ने श्योपुर के रामनिवास रावत को कार्यवाहक अध्यक्ष घोषित किया है। रामनिवास रावत पिछड़ा वर्ग के मीना समाज से आते है और चंबल इलाके में अच्छा प्रभाव रखते है। रामनिवास रावत सिंधिया समर्थक माने जाते है।
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