देश गहरे वित्तीय संकट में, अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र जारी करे मोदी सरकारः कांग्रेस
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार से एक सप्ताह के अंदर अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा कि देश इस समय गहरे वित्तीय संकट में है और अर्थव्यवस्था जर्जर हालत में है।विकास के सभी संकेतक नीचे की तरफ हैं और जीडीपी लगातार गिर रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये के लांभांश और अधिशेष हस्तांतरित किए जाने के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए एक सप्ताह के अंदर अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र जारी करने को कहा। कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, "देश इस समय गहरे वित्तीय संकट में है। अर्थव्यवस्था जर्जर हालत में है। विकास के सभी संकेतक नीचे की तरफ हैं और भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) लगातार गिर रहा है।"
राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी तिमाही में जीडीपी की दर 5.8 फीसदी थी। लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 5.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। ये आंकड़े 30 अगस्त को जारी किए गए थे। इनसे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की हालत पिछले सात सालों में सबसे खराब हालत में है।
आनंद शर्मा ने आंकड़े जारी करते हुए कहा कि देश में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक 2 फीसदी पर और विनिर्माण का सूचकांक 1.2 फीसदी पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दर 8.2 फीसदी थी, जबकि वास्तव में यह 20 फीसदी से अधिक थी। उन्होंने कहा, "भारत की मुद्रा रुपया 4 फीसदी गिर गई है और वर्तमान में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है।"
कांग्रेस नेता ने कहा कि कोई भी अर्थशास्त्री यह सत्यापित कर सकता है कि देश में उद्योग खतरे में है, चाहे वह वाहन क्षेत्र हो या कोई अन्य क्षेत्र। लोगों को कर्ज नहीं मिल रहा है, इसलिए मांग कम है।
मोदी सरकार की आलोचना करते हुए आनंद शर्मा ने कहा, "सरकार ने फैसला किया है कि आरबीआई का अधिशेष, जिसे कंटिजेंसी रिस्क बफर (सीआरबी) नाम से जाना जाता है, उसे सरकार को दे दिया जाए, जबकि कोई भी केंद्रीय बैंक अपने रिस्क बफर को सरकार के हवाले नहीं करती है। लेकिन, आरबीआई ने जालान समिति की सिफारिशों पर एक बार में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।"
उन्होंने कहा कि जालान समिति ने पहले कहा था कि आरबीआई द्वारा सरकार को रकम का हस्तांतरण 4-5 सालों की अवधि में किस्तों में करना चाहिए, लेकिन इसे एक बार में ही दे दिया गया। उन्होंने कहा, "यह पुष्टि करता है कि भारत गहरे आर्थिक और वित्तीय संकट में है।"
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