कमिश्नर की रिपोर्ट में बीएचयू हिंसा के लिए कुलपति ही जिम्मेदार
बीएचयू छात्राओं पर लाठीचार्ज मामले में बनारस के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी ठहराया है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के मामले में बनारस के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। उन्होंने रिपोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी ठहराया है। इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट को मुख्य सचिव राजीव कुमार को भेज दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत को संवेदनशील तरीके से देख-रेख नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान हो सकता था। अगर सही समय पर इस मामले को सुलझा लिया गया होता तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता। रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में सबसे बड़ा दोष प्रशासन का ही है, वो चाहते तो इस मामले को आराम से निपटा सकते थे।
सोमवार को छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना पर विशेष जनसुनवाई में एक ही बात थी जो सारे बयानों में समान थी, वो यह कि इस सबके लिए बीएचयू के कुलपति की हठधर्मिता ही जिम्मेदार है। सुनवाई के लिए कमिश्नरी कार्यालय में सुबह 9 बजे से दोपहर तक चली सुनवाई में 25 लोगों ने लिखित बयान तो कई ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर फोन से जानकारी दी। इन्हीं बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई है।
बीएचयू के कुलपति प्रो़ गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा,“परिसर में छात्राओं पर लाठीचार्ज नहीं हुआ। उनलोगों पर कार्रवाई की गई जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग के हवाले कर रहे थे। कैंपस में पेट्रोल बम फेंकने और पत्थरबाजी करने वाले अराजक तत्वों पर कार्रवाई की गई है। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
बीएचयू के कुलपति ने कहा, "23 सितंबर की रात को लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोक कर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी।"
कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और बाकी छात्राओं के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की। छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं। उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था। पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैंपस से बाहर करने के लिये ही बल प्रयोग किया। बीएचयू प्रशासन ने इस पूरी घटना की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीके दीक्षित की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है।
बीएचयू प्रशसान के अधिकारी ने कि विश्वविद्यालय में 65 और संवेदनशील स्थलों को चिन्हित किया गया है, जहां सीसीटीवी कैमरे स्थापित होंगे। सुरक्षा तंत्र में महिला सुरक्षाकर्मियों को भी शामिल किया जा रहा है। महिला छात्रावासों के आसपास के रास्तों पर गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगेगी। खराब स्ट्रीट लाइट को ठीक कराकर अतिरिक्त स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। सुव्यवस्थित सुरक्षा योजना बनाई जा रही है, जिसमें सुझाव के लिए वरिष्ठ छात्राओं को शामिल किया जाएगा।
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Published: 26 Sep 2017, 1:15 PM