केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल का बेतुका बयान, कहा- न्यूटन से पहले हिंदू ग्रंथों में हुई गुरुत्वाकर्षण की चर्चा
रमेश पोखरियाल ने कहा, “नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं। अगर बोलने वाले कंप्यूटर की बात करें तो संस्कृत उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगी।”
बीजेपी नेता और केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सदियों पहले विदेशी वैज्ञानिक इसाक न्यूटन द्वार गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज किए जाने को गलत बताते हुए कहा है कि हिन्दू ग्रंथों में गुरुत्वाकर्षण के बारे में सदियों पहले ही बता दिया गया था। शनिवार को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह दावा किया। उन्होंने कहा, ‘हिंदू ग्रंथों में गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा इसाक न्यूटन से हजारों वर्ष पहले की गई।’
दरसल इग्नू में आयोजित ज्ञानोत्सव 2076 समारोह में मंत्री ने कहा, "हम संस्कृत की काबिलियत सिद्ध नहीं कर पाए, इसीलिए हम पर सवाल उठाए जाते हैं। मैं आईआईटी और एनआईटी के कुलपतियों और कुलाधिपतियों से आग्रह करता हूं कि हमें इसे साबित करना चाहिए।" उन्होंने आलोचकों को चुनौती देते हुए कहा कि वे उन्हें बताएं कि संस्कृत से ज्यादा वैज्ञानिक भाषा कौन-सी है।
उन्होंने कहा, "नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसमें शब्द उसी तरह लिखे जाते हैं, जिस तरह बोले जाते हैं। अगर बोलने वाले कंप्यूटर की बात करें तो संस्कृत उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगी। अगर नासा संस्कृत को ज्यादा वैज्ञानिक भाषा मान सकती है तो आपको क्या दिक्कत है?"
उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। अगर आप संस्कृत से पुरानी किसी भाषा के बारे में जानते हैं तो हमें बताएं। इसके अलावा पोखरियाल ने दावा किया कि ऋषि प्रणव ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल का आविष्कार किया। रोचक बात यह है कि मंत्री ने आईआईटी-बंबई में दावा किया था कि चरक ऋषि ने सबसे पहले एटम और मॉलीक्यूल की खोज की थी।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री निशंक से पहले पूर्ववर्ती राजस्थान सरकार के मंत्री वेदांती भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि गुरुत्वाकर्षण के नियम का आविष्कार न्यूटन से पहले भारत में हुआ था।
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