बुलंदशहर हिंसाः हाई लेवल मीटिंग में योगी ने नहीं लिया शहीद का नाम, सिर्फ अवैध बूचड़खानों पर की बात
बुलंदशहर हिंसा को लेकर मंगलवार को आलाधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग में सीएम योगी ने एक बार भी शहीद इंस्पेक्टर का नाम तक नहीं लिया। बैठक में बुलंदशहर हिंसा को बड़ी साजिश का हिस्सा बताते हुए सिर्फ गोकशी पर ही बात करते रहे।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार शाम को बुलंदशहर हिंसा को लेकर लखनऊ में आलाधिकारियों के साथ एक हाई लेव मीटिंग की। लेकिन इस बैठक में उन्होंने बुलंदशहर हिंसा में उपद्रवियों की गोली से शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का एक बार भी नाम नहीं लिया। यही नहीं, पूरी बैठक में उनका फोकस हिंसा की जांच की बजाय कथित गोकशी की घटनाओं पर कार्रवाई पर रहा।
बैठक में योगी ने बुलंदशहर हिंसा को बड़ी साजिश का हिस्सा बताते हुए गोकशी में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। खबरों के मुताबिक योगी ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि अगर किसी भी जिले में अवैध बूचड़खाने संचालित होते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी वहां के डीएम और एसपी की होगी। उन्होंने कथित गोकशी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध रखने वाले सभी लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का भी अधिकारियों को आदेश दिया। योगी ने अधिकारियों को एक अभियान चलाकर ऐसे तत्वों को बेनकाब कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो माहौल को खराब करने की साजिश रच रहे हैं।
मुख्यमंत्री के साथ इस बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के प्रमुख सचिव, खुफिया विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे। लेकिन खास बात ये रही कि इस बैठक में एक बार भी सीएम योगी ने या किसी अधिकारी ने बुलंदशहर हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर का नाम तक नहीं लिया। पूरी बैठक कथित गोकशी की घटनाओं और अवैध बूचड़खानों पर ही केंद्रित रही। हालांकि बैठक में योगी ने हिंसा के पीछे किसी बड़ी साजिश की बात जरूर की, लेकिन इस पर भी सवाल उठने लगे हैं कि आखिर वह किस तरह की साजिश की बात कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बुलंदशहर हिंसा को लेकर इसी तरह की बात बुधवार को प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने भी कही। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि बुलंदशहर में हुई हिंसा किसी बड़ी साजिश का हिस्सा थी। ओपी सिंह ने कहा कि ये मामला सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है। डीजीपी ने ये भी इशारा किया कि आखिर 3 दिसंबर को ही यह घटना क्यों हुई। बता दें कि 3 दिसंबर को ही बुलंदशहर में घटना स्थल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मुस्लिम समुदाय की तीन दिवसीय इज्तिमा चल रही थी। ऐसे में सवाल यह है कि कहीं यूपी पुलिस और राज्य सरकार हिंसा को इज्तिमा से जोड़ने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia