राम मंदिर पर बीजेपी की दो टूक, सुप्रीम कोर्ट से नहीं निकला हल तो तैयार है दूसरा विकल्प
बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने अगली बेंच के लिए 4 जनवरी की तारीख दी है। हमें उम्मीद हैं कि कोर्ट फास्ट-ट्रैक तरीके से इस पर कार्यवाही करेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे।
राम मंदिर निर्माण की मांग को के लेकर अध्यादेश लाने की मांग कर रहे साधु-संतों और लोगों को बीजेपी ने दो टूक जवाब दे दिया है। बीजेपी ने साफ कर दिया है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाना उसका पहला विकल्प नहीं है, बल्कि दूसरा विकल्प है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने राम मंदिर के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अध्यादेश का विकल्प हमेशा रहा है, लेकिन फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सुप्रीम कोर्ट ने अगली बेंच के लिए 4 जनवरी की तारीख दी है। हम उम्मीद करते हैं कि कोर्ट फास्ट-ट्रैक तरीके से इस पर कार्यवाही करेगा और जल्द ही निपटारा कर देगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे।”
राम माधव के इस बयान से उन साधु-संतों और राम भक्तों को झटका लगा है जो अध्यादेश को इस मामले में पहले विकल्प के तौर पर चुनने की मांग कर रहे हैं। राम माधव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश के अलग-अलग हिस्सों में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर वीएचपी और बीजेपी समर्थित सभाएं आयोजित की जा रही है, ताकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। लेकिन, खुद बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश लाने को लेकर कितना गंभीर है, राम माधव के इस बयान से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
उधर, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने फैसला किया है कि अगर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार अयोध्या की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण बनाने के लिए अध्यादेश लाती है तो वह सुप्रीम में याचिका दायर करेगी। बीएमएसी के एक पदाधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि बीएमएसी ने यह फैसला मंगलवार को एक बैठक में लिया। यह बात शीर्ष अदालत द्वारा 4 जनवरी को मामले की सुनवाई के पहले कही गई है। दक्षिणपंथी समूह और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ अध्यादेश के लिए दबाव बना रहे हैं, जबकि विपक्ष विवादास्पद मुद्दे पर अदालत के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए कह रहा है।
बैठक में हिस्सा लेने वाले 70 लोगों में से एक ने कहा कि यह एक नियमित बैठक थी और इसका कोई विशेष एजेंडा नहीं था। हालांकि, मोदी सरकार द्वारा मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश या कानून लाने के मुद्दे पर पर चर्चा हुई।
बीएमएसी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि कमेटी सुप्रीम कोर्ट से यह भी आग्रह करेगी कि मामले पर जल्दबाजी नहीं हो और सभी पहलुओं और सभी प्रासंगिक दस्तावेजों पर विचार करन के बाद फैसला दे।
बीएमएसी सदस्यों का यह भी मत है कि बीजेपी की तीन राज्यों में चुनावी हार, मंदिर मुद्दे को लेकर पैदा किया जा रहा जुनून और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की मंदिर के समर्थन में बयानबाजी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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