कर्नाटक चुनाव: चित्रदुर्ग महंत के पत्र से लिंगायतों पर ‘धर्म संकट’ में फंसी बीजेपी
कर्नाटक चुनाव की तारीख घोषित होते ही बीजेपी और इसके अध्यक्ष अमितशाह धर्म संकट में फंस गए हैं। और, उन्हें इस सांसत में डाला है लिंगायतों के एकप्रमुख मंहत चित्रदुर्ग मठ के मंहत ने।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों की जोड़तोड़ में लगी बीजेपी और इसके अध्यक्ष अमित शाह को तगड़ा झटका लगा है। चित्रदुर्ग मठ के महंत ने अमित शाह को चिट्ठी लिखकर लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के लिए कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार की तारीफ की है। उन्होंने अमित शाह के पत्र देकर सिद्धारमैया सरकार के उस फैसले का समर्थन करने को कहा है जिसमें लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है। महंत ने अमित शाह से अनुरोध किया है कि वे सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले को केंद्र सरकार से मंजूरी दिलाएं।
कर्नाटक चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी अध्यक्ष विभिन्न मठों के महंतों से मुलाकात कर समर्थन की अपील कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने मंगलवार को चित्रदुर्ग में मुरुघा मठ के महंत डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुघा शरानारू से भी मुलाकात की की थी। उन्होंने खुद ही इस मुलाकात की तस्वीरें अपने ट्विटर पर पोस्ट की थी। इस मुलाकात के दौरान उनके साथ कर्नाटक बीजेपी नेता बी एस येदुयरप्पा भी थे।
बताया जा रहा है कि इसी मुलाकात के दौरान चित्रदुर्ग मठ के महंत डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने अमित शाह को एक ज्ञापन रूपी पत्र दिया। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि लिंगायत धर्म को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने से युवाओं को फायदा मिलेगा और समुदाय के बाकी लोगों को भी कुछ तो लाभ होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह फैसला समुदाय को बांटने वाला नहीं है, बल्कि यह लिंगायत की उपजातियों के लोगों को संगठित करने वाला फैसला है।
दरअसल बीजेपी सिद्धारमैया की अगुवाई कांग्रेस सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रही है और इसे हिंदू समाज को बांटने की कोशिश बता रही है। मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद लिंगायत के मुद्दे पर सिद्धारमैया सरकार और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था।
शाह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का राज्य सरकार का कदम हिंदुओं को बांटने की कोशिश है। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि यह लिंगायत समुदायों की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम नहीं है बल्कि येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकने की ‘साजिश’ है। बीजेपी की सांसद शोभा करंदलाजे ने भी कहा था कि कर्नाटक सरकार का फैसला समुदाय को बांटने वाला है।
दरअसल कर्नाटक में लिंगायतों की आबादी करीब 17 फीसदी है और वे चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। लिंगायत समुदाय हिंदू धर्म से संबंधित है और परंपरागत रूप से इस समुदाय को बीजेपी का समर्थक माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बी एस येदुयरप्पा लिंगायत समुदाय से ही आते हैं।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लिंगायतों को बीजेपी के पक्ष में करने और मठों से कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कई मठों के महंतों से मिल चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने चित्रदुर्ग मठ के महंत से भी मुलाकात की थी।
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