बिहारः रोसड़ा हिंसा में भी सामने आया बीजेपी नेताओं का हाथ, वीडियो फुटेज से पहचान के बाद पुलिस ने किया गिरफ्तार
समस्तीपुर के रोसड़ा में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मामले में पुलिस ने बीजेपी के 2 नेताओं समेत कई आरोपियों को हिरासत में लिया है। दूसरे आरोपियों की पहचान भी सीसीटीवी फुटेज की मदद से की जा रही है।
बिहार के अलग-अलग जिलों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मामले में बीजेपी नेताओं के शामिल होने की कलई खुलने लगी है। समस्तीपुर के रोसड़ा में रामनवमी के मौके पर मूर्ति विसर्जन को लेकर भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मामले में 29 मार्च को पुलिस ने दो बीजेपी नेताओं समेत कई आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। इनमें बीजेपी किसान मोर्चा के नेता दिनेश कुमार झा और और बीजेपी बुनकर प्रकोष्ठ के नेता मोहन पटवा का नाम शामिल है।
समस्तीपुर जिले के रोसड़ा थाना प्रभारी ब्रजनंदन मेहता ने भी हिंसा मामले में आरोपियों के हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की है। इस मामले के बाद से विपक्ष पूरी तरह नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली प्रदेश की एनडीए सरकार पर हमलावर है। राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता सह विधायक भाई वीरेंद्र ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का पहले से ही स्पष्ट कहना था कि सूबे में बीजेपी और आरएसएस के लोग दंगा भड़का कर अपनी राजनीति करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा की यह सब 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा है। भाई वीरेंद्र ने कहा, “पूरे प्रदेश को दंगे की आग में झोंका जा रहा है और मुख्यमंत्री छोटे-मोटे बीजेपी नेता को गिरफ्तार कर खानापूर्ति कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि दरअसल रोसड़ा में दिखावे के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है क्योंकि अगर ये शुरुआत नहीं करते तो जनता इनके खिलाफ शुरुआत कर देती। आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार दंगा रोकने में पूरी तरह से फेल हैं और इसीलिए दिखावे के तौर पर छोटे-मोटे नेताओं को हिरासत में लिकर खानापूर्ति की जा रही है।” आरजेडी प्रवक्ता ने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग खुले तौर पर बिहार में दंगा फैला रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनका संरक्षण कर रहे हैं।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर अजय यादव ने इस मामले से मुख्यमंत्री को सबक लेने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि भागलपुर, मुंगेर, औरंगाबाद, नालंदा या फिर समस्तीपुर हर जगह बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने अशांति फैलाने का काम किया है। उन्होंने कहा, “इसमें सबसे बड़ी भूमिका केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे की है, जो अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। रोसड़ा में जिन बीजेपी नेताओं को हिरासत में लिया गया है, दरअसल वह छोटे मोहरे हैं। बड़े मोहरे तो अभी भी आजाद घूम रहे हैं।” उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग प्रदेश में हिंदू और मुसलमानों को बांटने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को समय रहते इसे रोकना चाहिए था।
इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने खामोशी अख्तियार कर ली है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि उन्हें फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं है। वह जानकारी हासिल करने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
वहीं, इस बीच इस मामले पर बीजेपी ने बड़ा बयान दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अगर प्रशासन द्वारा बीजेपी नेताओं को फंसाया जा रहा है, तो प्रशासन को भी देखा जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। दोषी किसी भी पार्टी का हो, उसके खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की जायेगी।
प्रदेश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं पर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा, “बीजेपी के लोग सत्ता की हनक में अपने असली चरित्र को उजागर करते जा रहे हैं। उनका हिंसा, सांप्रदायिकता और दलित विरोधी चेहरा दिन ब दिन स्पष्ट होता जा रहा है। ऐसे में जो भी लोग सेक्युलर विचारधारा के होंगे वे बीजेपी से अलग राह चुनना जरूर पसंद करेंगे।”
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