अयोध्या केसः जनवरी में तय होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख, बीजेपी नेताओं ने शुरू की भड़काऊ बयानबाजी
इस वर्षों पुराने इस विवादित मामले में कोर्ट का फैसला कब तक आ पाएगा, ये नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव से पहले ये मामला काफी सरगर्म होगा और इसको लेकर राजनीतिक बयानों का दौर और तेज होगा।
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर 29 अक्टूबर से शुरू होने वाली आखिरी सुनवाई एक बार फिर टल गई है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि अंतिम सुनवाई के लिए अगली तारीख का फैसला जनवरी में होगा।
खबरों के मुताबिक इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन भी किया जा सकता है। सोमवार को इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई मात्र 3 मिनट में ही टल गई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ये मामला तत्काल सुनवाई के तहत नहीं सुना जा सकता है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ की पीठ ने की।
अयोध्या विवाद पर 2010 में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में बीते 8 साल से है। अब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। राम मंदिर निर्माण को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों और राजनीतिक दलों खासकर बीजेपी की ओर से लगातार बयानबाजी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में सोमवार को सुनवाई टलने के बाद एक फिर बयानों का दौर शुरू हो गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित होने के बाद उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। हालांकि सुनवाई का टलना अच्छा संकेत नहीं है। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, “मुझे भय है कि सब्र टूटा तो क्या होगा। अब ‘हिंदुओं का सब्र टूट’ रहा है।”
गिरिराज सिंह के बयान पर बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा है, “काहे बड़बड़ा रहे है फालतू का? किसी का सब्र नहीं टूटा है। ठेकेदार मत बनिये, हमसे बड़े हिंदू नहीं हैं आप? आपको चुनाव का डर है। ये मगरमच्छी रोना रोने से फुर्सत मिले तो युवाओं की नौकरी, विकास और जनता की सेवा की बात करिये। अपने दोस्त पलटूराम की तरह बेमतलब बिहारियों को बदनाम मत करिये।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयानों को लेकर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बीजेपी पर ध्रुवीकरण की कोशिश करने का आरोप लगाया। चिदंबरम ने कहा कि हर 5 साल पर चुनाव से पहले बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे पर ध्रुवीकरण की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस की राय बिल्कुल स्पष्ट है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए सभी को सुप्रीम कोर्ट ेक फैसले का इंतजार करना चाहिए।
वहीं, बीजेपी नेताओं की तरफ से अयोध्या मामले में अध्यादेश लाने के संकेतों पर तीखा प्रहार करते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने बीजेपी को इस मामले में अध्यादेश लाने की चुनौती दी है। ओवैसी ने कहा कि जब सीजेआई की पीठ ने कह दिया कि जनवरी में अगली सुनवाई होगी, तो फिर किसी तरह का सवाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हर बार वे लोग धमकी देते हैं कि वे अध्यादेश लाएंगे। बीजेपी का हर छोटा-बड़ा नेता आए दिन ये बयान देता रहता है। तो लाइये ना। आप सरकार में हैं, मैं आपको अध्यादेश लाने की चुनौती देता हूं।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस विवाद पर निर्णायक सुनवाई शुरू होनी थी कि उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या में गिराई गई बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ की जमीन पर किसका मालिकाना हक है। ये सुनवाई मामले में 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने वाले फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर होनी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत वाले अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच तीन बराबर भागों बांटने का फैसला दिया था। इस फैसले को तीनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इस साल 27 सितंबर 2018 को मस्जिद को इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं बताने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या विवाद में दीवानी मामले का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला इस मामले में प्रासंगिक नहीं है।
इस वर्षों पुराने मामले में कोर्ट का फैसला कब तक आ पाएगा, ये नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव से पहले ये मामला काफी सरगर्म होगा और इसको लेकर राजनीतिक बयानों का दौर और तेज होगा।
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