अटल कलश यात्राः हरिद्वार में वाजपेयी के अस्थि विसर्जन के दौरान सामने आयी बीजेपी की अंदरूनी कलह
अव्यवस्था से केंद्रीय नेता इतने नाराज हुए कि अस्थि विसर्जन के बाद हरकी पौड़ी पर होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम को भी रद्द करना पड़ा। इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह, अमित शाह, योगी और त्रिवेंद्र सिंह रावत को अटल जी के सम्मान में अपने विचार रखने थे।
हरकी पौड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश विसर्जन कार्यक्रम में फैली अव्यवस्था से अमित शाह की नाराजगी के साथ ही उत्तराखंड बीजेपी की कलह से गंगा की लहरों में असामान्य उछाल साफ-साफ देखा गया। दो मंत्रियों की जंग और श्रेय लेने की होड़ ने केंद्रीय नेताओं का ब्लड प्रेशर भी खूब बढ़ाया।
गौरतलब है कि बीते रविवार को गंगा में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी कीअस्थियां प्रवाहित की गईं। लेकिन श्रेय लेने की होड़, पार्टी नेताओं के बीच संवादहीनता और समन्वय की भारी कमी ने अव्यवस्था को उजागर कर दिया। इस मौके पर स्वर्गीय वाजपेयी के परिजनों के अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत हजारों की संख्या में आए लोग अपने प्रिय नेता को अंतिम नमन करने के लिए हरिद्वार में एकत्रित हुए थे। बीजेपी की इस भावनात्मक क्षण को को एक नई शक्ल देने की कोशिश थी। लेकिन पार्टी नेताओं के अहम के कारण पूरे कार्यक्रम में अव्यवस्था का आलम देखा गया।
कार्यक्रम में फैली अव्यवस्था से केंद्रीय नेता इतने नाराज हुए कि अस्थि विसर्जन के बाद हरकी पौड़ी पर होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम को भी रद्द करना पड़ा। इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह, अमित शाह, योगी और त्रिवेंद्र सिंह रावत को अटल जी के सम्मान में अपने विचार रखने थे।
दरअसल, इस पूरी अव्यवस्था के पीछे बीजेपी के दो कैबिनेट मंत्रियों सतपाल महाराज और मदन कौशिक के बीच लंबे समय से जारी कोल्ड वार ही प्रमुख कारण रहा। अटल कलश यात्रा के लिए प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कई स्तरों पर कार्यक्रम की रूपरेखा पर मंथन हुआ। लेकिन मुख्य झगड़ा इस बात पर हुआ कि अटल जी की अस्थि कलश यात्रा आखिर कहां से शुरू की जाए।
हरिद्वार में अस्थि कलश यात्रा के लिए गठित बीजेपी की समिति में केंद्रीय नेता और संघ से जुड़े शिवप्रकाश जी मुख्य भूमिका में थे और कार्यक्रम स्थल के चयन पर माथापच्ची कर रहे थे। पहला स्थल शांतिकुंज और दूसरा कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम को चुना गया।
इसमें दिलचस्प बात ये रही कि अस्थि कलश के हरिद्वार आने की पूर्व संध्या पर व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट ने शांति कुंज पहुंचर जायजा लिया और शांति कुंज के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या से विचार विमर्श किया। शांति कुंज ने अपने स्तर पर तैयारियां भी शुरू कर दी थी। और इस आशय की सूचना भी सार्वजनिक कर दी गयी था कि रविवार की सुबह 11 बजे शांति कुंज से ही अस्थि कलश यात्रा शुरू होगी।
इसी बीच सतपाल महाराज के प्रेम नगर आश्रम में भी अस्थि कलश यात्रा को लेकर तैयारियां होने लगीं। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की केंद्रीय नेताओं से हुई बातचीत के बाद ही प्रेमनगर आश्रम में हलचलें तेज हुईं। सूत्रों के अनुसार इसकी खबर लगने पर बीजेपी के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने प्रेमनगर आश्रम से अस्थि कलश यात्रा निकाले जाने का अंदरखाने विरोध किया। इसके बाद शांति कुंज और प्रेमनगर आश्रम की बजाय तीसरे विकल्प के तौर पर भल्ला कालेज के मैदान पर विचार किया गया।
उधर, सतपाल महाराज ने भी गांठ बांध ली कि कलश यात्रा प्रेमनगर आश्रम से नहीं निकलेगी तो फिर शांति कुंज से भी नहीं निकलेगी। कुछ बीजेपी नेताओं ने पुराने गड़े मुर्दे भी उखाड़ने शुरू कर दिए और यह कहते हुए शांतिकुंज का विरोध किया कि डॉ प्रणव पंड्या ने पहले ही मोदी सरकार की ओर से पेश की गई राज्यसभा सीट लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि, इस मुद्दे पर भी भ्रम बना हुआ है, कि राज्यसभा की सीट वास्तव में ऑफर की भी गई थी या नहीं।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ही अमित शाह विशेष तौर पर डॉ प्रणव पंड्या से मिलने हरिद्वार आए थे। मौजूदा समय में देश भर में शांति कुंज के विचारों को मानने वाले 25 करोड़ लोग हैं। शाह की पूरी कोशिश पंड्या को मनाने और बीजेपी से जोड़ने की थी। और इसी रणनीति के तहत शांतिकुंज से अस्थि कलश यात्रा शुरू करने की योजना थी। लेकिन इस योजना पर पार्टी के नेताओं ने ही पलीता लगा दिया।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि रविवार की सुबह तक यह साफ नहीं हो पाया था कि वास्तव में अटल कलश यात्रा कहां से शुरू होगी। शांति कुंज में सुबह तक तैयारियां चल रही थीं। प्रबंधकों को नहीं पता था कि आयोजन स्थल बदल गया। और जब कार्यक्रम स्थल बदले जाने का पता चला तो डॉ पंड्या अस्थि कलश विसर्जन कार्यक्रम में शामिल ही नहीं हुए।
नेताओं की आपसी जंग से प्रशासन भी हलकान रहा। रविवार की सुबह हेलीकॉप्टर से लगभग 11 बजे अस्थि कलश भल्ला कालेज के मैदान लाया गया। और फिर इसी मैदान से अटल कलश यात्रा 3 किलोमीटर का सफर तय कर हरकी पौड़ी पहुंची। दोपहर 1 बजे तक गंगा सभा ने अस्थि विसर्जन कार्य सम्पन्न कराए। इसके बाद वाजपेयी के परिजनों समेत बड़े नेताओं की चप्पल गुम होने और मशक्कत के बाद मिलने से वहां फैली अव्यवस्था की पूरी कहानी बयां हो गयी।
अमित शाह , योगी समेत अन्य नेताओं के चेहरे अव्यवस्था से तमतमाये हुए थे और आखिर में होने वाली श्रद्धांजलि सभा कैंसिल कर केंद्रीय नेता अपनी मंजिल की ओर कूच कर गए और अपने पीछे छोड़ गए गहरी नाराजगी।
इस नाराजगी को भांपते हुए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने प्रेमनगर आश्रम की राह पकड़ी।हालांकि, नाराज महाराज ने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि उन्होंने मदन को नहीं बुलाया था। सतपाल महाराज के आश्रम में भोजन की व्यवस्था रखी गई थी। लेकिन बंद कमरे में कौशिक और सतपाल महाराज के बीच हुई 'वार्ता' से यह भी साफ हो गया है कि गंगा किनारे चली अटल कलश यात्रा में भी साजिश का खेल समानांतर चलता रहा। इस खेल के चेहरे बीजेपी के शीर्ष और आम कार्यकर्ताओं ने तो देखे ही, आम जन की आंखों के सामने भी बेनकाब हो गए।
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