बाबा रामदेव के पतंजलि ने छिपाई थी कोरोना की दवाई की बात, उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर का दावा

उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर ने कहा कि 'पतंजलि के आवेदन के अनुसार हमने उन्हें लाइसेंस जारी किया। उन्होंने कोरोना वायरस की बात नहीं बताई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का जो काम अब तक पूरी दुनिया नहीं कर सकी है, उसे बना लेने का दावा बाबा रामदेव ने किया है। बाबा रामदेव ने मंगलवार को ऐलान किया कि पतंजलि ने कोरोना वायरस को हराने वाली दवा बना ली है, जो एक हफ्ते के अंदर मरीजों को पूरी तरह ठीक कर देगी। बाबा इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, लेकिन सरकार को उनकी ये बात रास नहीं आई और अब मामला विवाद की वजह बन गया। इसी बीच उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर ने कहा कि 'पतंजलि के आवेदन के अनुसार हमने उन्हें लाइसेंस जारी किया। उन्होंने कोरोना वायरस की बात नहीं बताई थी। हमने केवल इम्युनिटी बूस्टर, कफ और बुखार के लिए लाइसेंस जारी किया था। हम उन्हें नोटिस जारी करेंगे और पूछेंगे कि उन्होंने यह किट बनाने की इजाजत कहां से हासिल की है।'

बाबा रामदेव के पतंजलि ने छिपाई थी कोरोना की दवाई की बात, उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस ऑफिसर का दावा

बता दें कि बाबा रामदेव ने 23 जून की दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया कि पतंजलि कोरोना वायरस मरीजों को ठीक करने वाली 'कोरोनिल' दवा बनाने में कामयाब हो गई है। बाबा रामदेव का यह ऐलान सभी टीवी चैनलों पर लाइव चला। केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को जैसे ही इस बात की खबर मिली उसने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी, साथ ही पतंजलि से आवश्यक जानकारी भी मांगी।


यानी आयुष मंत्रालय के मुताबिक, उनके पास न ही दवा की पूरी जानकारी थी, साथ ही पतंजलि ने दवा से 100 प्रतिशत इलाज का जो दावा किया उसे भी कानून का उल्लंघन बताया गया और पतंजलि की दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी गई। सरकार ने इस दवा के लिए किए जा रहे दावों की जांच करने का फैसला किया है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को चेतावनी दी है कि ठोस वैज्ञानिक सबूतों के बिना कोरोना के इलाज का दावे के साथ दवा का प्रचार-प्रचार किया गया तो उसे ड्रग एंड रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून के तहत संज्ञेय अपराध माना जाएगा।

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