मनमोहन सिंह के खिलाफ पीएम की टिप्पणी पर जेटली ने दी सफाई, कहा, उनकी देशभक्ति का है सम्मान
राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने सफाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पूर्व पीएम और पूर्व उपराष्ट्रपति की देशभक्ति को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया था और न ही उनका ऐसा कोई आशय था।
गुजरात चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर संसद में जारी गतिरोध अब खत्म होता नजर आ रहा है। इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से सफाई दी है। राज्यसभा में सदन के नेता जेटली ने बुधवार को सफाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पूर्व पीएम और पूर्व उपराष्ट्रपति की देशभक्ति को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया था और ना ही उनका ऐसा कोई आशय था।
जेटली ने सदन को बताया, “पीएम मोदी ने अपने भाषणों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की देशभक्ति पर किसी तरह को कोई सवाल नहीं उठाया और ना ही उनका ऐसा कोई इरादा था। इस तरह की कोई भी धारणा पूरी तरह से गलत है। हम इन नेताओं और भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का बहुत सम्मान करते हैं।” जेटली के बयान के बाद कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी करना पीएम पद के लिए ठीक नहीं। आजाद ने कहा कि वो चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की बातें ना दोहराई जाएं।
गुजरात चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर हुई एक कथित बैठक का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पाकिस्तान के साथ मिलकर भाजपा को गुजरात चुनाव हराने की साजिश रची है। यही नहीं मोदी ने यहां तक आरोप लगाया था कि पाकिस्तानी सेना के पूर्व महानिदेशक कांग्रेस नेता अहमद पटेल को गुजरात का मुक्यमंत्री बनाना चाहते हैं।
मोदी के बयान की तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। खुद मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी पर चुनाव में जीत हासिल करने के लिए झूठ फैलाने का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने इस मुद्दे को काफी गंभीर मानते हुए पीएम मोदी से अपने बयान के लिए खेद प्रकट करने की मांग की थी। कांग्रेस की मांग को लेकर पूरे शीतकालीन सत्र में सदन में हंगामा जारी रहा।
गुजरात चुनाव की वजह से करीब एक महीना देर से बुलाए गए शीतकालीन सत्र की अवधि पहले से ही कम रखी गई है। लगातार जारी हंगामे की वजह से 15 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में अभी तक सुचारू रूप से कामकाज नहीं हो सका है।
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