वक्फ की स्थिति को बदलने वाला कोई भी संशोधन स्वीकार्य नहीं, केंद्र सरकार पर भड़के मौलाना अरशद मदनी
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ऐसे किसी संशोधन को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिससे वक़्फ़ की स्थिति बदल जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक प्रकार से मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों में जानबूझकर किया गया हस्तक्षेप है।
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार कहा कि वक्फ की स्थिति में बदलाव करने वाले किसी भी संशोधन को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों में जानबूझकर हस्तक्षेप कर रही है।
उन्होंने एक बयान में दावा किया, ‘‘यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि संशोधनों द्वारा केंद्र सरकार वक़्फ संपत्तियों की स्थिति को बदल देना चाहती है ताकि उन पर कब्जा करके मुस्लिम वक़्फ की स्थिति को समाप्त करना आसान हो जाए।’’
मदनी ने कहा कि ऐसे किसी संशोधन को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिससे वक़्फ़ की स्थिति बदल जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक प्रकार से मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों में जानबूझकर किया गया हस्तक्षेप है।
मदनी ने कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं, क्योंकि जमीयत उलमा-ए-हिंद अपने पुरखों की संपत्तियों की सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर जारी लूट पर चुप नहीं बैठ सकती।’’
उधर, सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के लिए संसद में विधेयक पेश किए जाने की संभावना के बीच, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि वक्फ संपत्तियों के नियमन को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आम मुसलमानों द्वारा लगातार मांग की जा रही है।
हालांकि, उन्होंने पत्रकारों के साथ अपनी संक्षिप्त बातचीत के दौरान विधेयक पर कोई टिप्पणी नहीं की। हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिये गए इस विधेयक को अबतक संसद में पेश नहीं किया गया है।
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