देशद्रोह केसः एएमयू छात्र नेताओं को प्रेस कांफ्रेंस से रोका, दिल्ली पहुंचने से पहले यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों पर दर्ज देशद्रोह के मामले पर प्रेस कांफ्रेंस करने दिल्ली आ रहे एएमयू छात्र संघ के कई पदाधिकारियों को यूपी पुलिस ने रास्ते से ही हिरासत में ले लिया। स्थानीय पुलिस पहले ही छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का कोई सबूत नहीं मिलने की बात कह चुकी है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पिछले दिनों हुए विवाद में 14 छात्रों पर देशद्रोह का केस दर्ज किए जाने के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस करने आ रहे एमएमयू छात्र संघ के कई वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों को यूपी पुलिस ने राजधानी पहुंचने से पहले हिरासत में ले लिया।
देशद्रोह के केस में आरोपी बनाए गए 14 छात्रों में से एक और एएमयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष हम्जा सुफियान ने बताया कि उन्हें और उनके साथियों को यूपी पुलिस ने अलीगढ़ के बाहरी इलाके टप्पल में ही रोक दिया। सुफियान ने कहा, “उन लोगों ने टप्पल में बैरिकेड लगा रखा था, जहां उन्होंने हमें रोका और हमारी कार में ही हम से एक घंटे तक पूछताछ की। पुलिस ने बताया कि उन्हें हमें दिल्ली पहुंचने से रोकने का अधिकारियों से आदेश मिला है।”
हम्जा सुफियान के साथ एएमयू छात्र संघ के कैबिनेट सदस्य फिरदौस अहमद बरभुइया भी थे, जिनका नाम भी एफआईआर में है। फिरदौस अहमद ने आरोप लगाया कि 12 फरवरी को भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुकेश लोढ़ी की पहल पर दर्ज कराए गए केस के सिलसिले में स्थानीय पुलिस द्वारा एएमयू छात्र संघ नेताओं के साथ ही उन पर लगातार नरज रखी जा रही थी।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होने आ रहे एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मश्कूर अहमद उस्मानी ने बताया कि पुलिस ने उन्हें अलीगढ़ के बाहरी इलाके के लोढ़ा पुलिस स्टेशन में 2 घंटे तक हिरासत में रखा। मश्कूर अहमद ने बताया, दिल्ली के लिए निकलने से पहले मेरा एएमयू परिसर में एक सभा को संबोधित करने का कार्यक्रम था। लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा मुझे दो घंटे तक हिरासत में रखा गया।
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पुलिस वालों ने उनकी लंबी तलाशी ली और काफी देर तक उनसे पूछताछ की। उन्होंने बताया कि पुलिस वालों ने उन्हें बताया कि ये कार्रवाई के निर्देश पर ह रही है। उस्मानी ने कहा, “पुलिस वालों ने हम से दिल्ली जाने का कारण पूछा और हमारी सघन तलाशी ली, यहां तक कि उन्होंने हमारे अंडरवियर तक की तलाशी ली।” उस्मानी ने भी कहा कि पुलिस का मकसद उन्हें किसी तरह दिल्ली जाने से रोकना था।
एएमयू छात्र संघ के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों को हिरासत में लिए जाने की ये कार्रवाई स्थानीय पुलिस द्वारा ये बयान दिए जाने के बावजूद हुई है कि छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का कोई साक्ष्य नहीं है। एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए अलीगढ़ के एसपी आशुतोष द्विवेदी ने कहा था, प्रारंभिक जांच में देशद्रोह के कोई सबूत नहीं मिले हैं। और इन्हें वापस लिया जाएगा।
गौरतलब है कि 12 फरवरी को एएमयू परिसर में उस समय हंगामा शुरू हो गया था जब रिपब्लिक टीवी की एक रिपोर्टर ने परिसर से रिपोर्टिंग करने क दौरान कथित तौर पर कहा कि “वह आतंकवादियों के विश्वविद्यालय में खड़ी हैं”। इस पर वहां मौजूद छात्रों का गुस्सा भड़क गया। इसके बाद छात्रों के दो गुटों में झगड़ा शुरू हो गया, जिसमें से एक गुट दक्षिणपंथी छात्र समूहों का था।
एएमयू छात्र संघ के पदाधिकारियों का दावा है कि रिपब्लिक टीवी की टीम परिसर से बिना इजाजत के प्रसारण कर रही थी और जानबूझकर लाइव प्रसारण में छात्रों को भड़काने के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रही थी। हालांकि रिपब्लिक टीवी ने आरापों से इनकार किया है।
इस विवाद के दौरान भाजयुमो के जिला अध्यक्ष मुकेश लोढ़ी ने दावा किया कि जब वह परिसर से निकल रह था तो एएमयू छात्रों ने उसकी कार पर हमला किया और इस दौरान उसकी कार पर एक गोली भी चलाई गई। मुकेश लोधी ने अपनी एफआईआर में कहा है, एएमयू के इन छात्रों ने मुझ पर फायरिंग की, लेकिन मैं बच गया और गोली मेरी कार में जा लगी। उन लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद और बारत मुर्दाबाद जैसे नारे भी लगाए। मुझे और मेरे दोस्त मनोज शर्मा को पीटा गया, लेकिन हम किसी तरह वहां से बच निकले। लोधी की शिकायत पर पुलिस ने एएमयू के 14 छात्रों के खिलाफ देशद्रोह समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया।
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