सरकारी कर्मचारियों का DA रोकने पर राहुल ने केंद्र को घेरा, कहा- बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट रोककर भी चल जाता काम
राहुल गांधी से पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। सुरजेवाला की ओर से कुछ डाटा पेश किया गया और केंद्र सरकार पर कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी पर लगी रोक के मामले में केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है। शुक्रवार को राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को अमानवीय और असंवेदनशील बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता (DA) काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है’।
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दरअसल, बीते मार्च महीने में मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को एक तोहफा दिया था। सरकार ने अपने केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी के लिए महंगाई भत्ते में चार फीसदी का इजाफा कर दिया। लेकिन अब कोरोना संकट की वजह से इसी इजाफे को रोकने का फैसला लिया गया है।बता दें कि राहुल गांधी से पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। सुरजेवाला की ओर से कुछ डाटा पेश किया गया और केंद्र सरकार पर कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया गया।
कितने लोगों पर पड़ेगा इस फैसले का असर ?
सरकार के इस फैसले का असर करीब 48 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स पर पड़ने की आशंका है। हालांकि, कोरोना संकट से जूझ रहे देश के सरकारी खजाने को राहत मिल सकती है। माना जा रहा है कि इस फैसले से सरकारों को राजस्व के संग्रह में आ रही कमी के संकट से जूझने में मदद मिलेगी।
आखिर क्या होता है डीए?
केंद्रीय कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए महंगाई भत्ता (डीए) दिया जाता है। महंगाई भत्ते की गणना बेसिक सैलरी के आधार पर होती है। केंद्र सरकार साल में दो बार डीए में बदलाव करती है। पहला जनवरी से जून के पीरियड के लिए जबकि दूसरी बार जुलाई से दिसंबर के लिए होता है। इसका मकसद महंगाई में बढ़ोतरी की भरपाई करना होता है।
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