कई मोर्चों पर बदनामी और नाकामी के बाद अफसरशाहों के हाथों में मोदी सरकार
मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल और विस्तार से ये तथ्य स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास ऐसे नेताओं की बेहद कमी है जो शासन को सुचारू रूप से चला सकें।
निर्मला सीतारमण को स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री से सीधा देश की सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी का सदस्य बनाया गया है। सीतारमण अब देश की नयी रक्षा मंत्री होंगी। इसके अलावा एक के बाद एक रेल हादसों से आलोचना का शिकार बने सुरेश प्रभु को वाणिज्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है जबकि पीयूष गोयल नए रेल मंत्री होंगे।
रविवार को मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल और विस्तार से ये तथ्य स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास ऐसे नेताओं की बेहद कमी है जो शासन को सुचारू रूप से चला सकें। यहीं वजह है कि मोदी मंत्रिमंडल में अफसरशाहों, वकीलों, लेखकों और पत्रकारों को शामिल किया गया है। अब धीरे धीरे यह भी स्पष्ट होने लगा है कि सरकार ने जिन मंत्रियों की छुट्टी की है उनका काम संतोषजनक नहीं था। यानी सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से मान लिया है कि उसके कामकाज में गलतियां और नाकामियां शामिल हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी के पुराने नेता विनय सहस्त्रबुद्धे ने 2015 में एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि बीजेपी के पास अनुभवी और प्रतिभाशाली लोगों की कमी है। कई जाने माने लोगों ने मंत्रिमंडल में अफसरशाहों को शामिल किए जाने को लेकर सोशल मीडिया में टिप्पणियां भी कीं।
चर्चा तो यह भी है कि बीजेपी में काबिल लोग तो हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष काबिल लोगों को बरदाश्त ही नहीं कर पाते। यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी और सहयोगी दलों के नेताओं के मुकाबले अफसरशाहों, वकीलों, डॉक्टरों और लेखकों-पत्रकारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नीति आयोग के अरविंद पनगढ़िया, पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का इस्तीफा देना इसके उदाहरण हैं कि इस सरकार में काबिल लोगों को तरजीह नहीं दी जाती। वैसे भी मोदी सरकार का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है। यह सरकार नोटबंदी और जीएसटी पर बुरी तरह नाकाम साबित हुयी है। देश की तरक्की की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। ऐसे में अब और मुंह की खाने के बजाय सरकार ने शासन की बागडोर अप्रत्यक्ष रूप से अफसरशाहों के हाथों में सौंपने का तरीका अपनाया है।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि रविवार के मंत्रिमंडलीय विस्तार में 9 नए चेहरों को शामिल किया गया, चार का प्रोमोशन किया गया। इससे पहले सरकार क 6 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। नौ नए चेहरों में पूर्व आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के अलावा डॉक्टर और वकील भी शामिल हैं। इससे पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल में भी पत्रकारों, लेखकों, वकीलों और डॉक्टरों को वरीयता दी गयी थी। इस बीच जुमलेबाज़ी का एक नया अवतार सामने आया है जिसे मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार का आधार बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी न्यू इंडिया के विज़न को मुर्त रूप देने के लिए फोर पी (4 Ps) का फार्मूला अपनाया गया है। ये हैं: पैशन, प्राफिशियंसी, प्रोफेशनल एक्यूमेन और पॉलिटिकल एक्यूमेन। रविवार के फेरबदल और विस्तार में किसे क्या मिला है ये नीचे सूची से पता लगाया जा सकता है:
- धर्मेंद्र प्रधान - स्किल डेवलपमेंट
- निर्मला सीतारमण - रक्षा मंत्री
- पीयूष गोयल - रेल मंत्री
- मुख्तार अब्बास नकवी – अल्पसंख्यक कल्याण (अब कैबिनेट मंत्री)
- सुरेश प्रभु - वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
- उमा भारती - पेयजल और सफाई मंत्री
- नितिन गडकरी - जल संसाधन/गंगा संरक्षण (अतिरिक्त प्रभार)
- राज्यवर्धन राठौर - खेल एवं युवा मामले (स्वतंत्र प्रभार)
- विजय गोयल (राज्यमंत्री) - खेल एवं युवा मामले
- आरके सिंह - ऊर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
- अल्फांस कन्ननथानम (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) - पर्यटन/सूचना प्रोद्योगिकी
- हरदीप पुरी - शहरी विकास मंत्रालय (राज्यमंत्री)
- नरेंद्र सिंह तोमर - खनन मंत्री
- विजय गोयल - संसदीय कार्य (राज्यमंत्री)
- अश्विनी कुमार चौबे - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (राज्यमंत्री)
- अनंत कुमार हेगड़े - स्किल डेवलपमेंट (स्वतंत्र प्रभार)
बाकी किस मंत्री के विभाग में बदलाव हुआ है उसे पीआईबी के इस लिंक पर देखा जा सकता है।
सबसे बड़ी बात ये है कि इस सूची में घर वापसी करने वाले जेडीयू, लोकसभा चुनाव से साथ रहे शिवसेना और तमिलनाडु में मोदी से पींगे बढ़ा रहे एआईएडीएमके का कोई नाम शामिल नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान चर्चा ये भी रही कि मोदी-शाह की जोड़ी ने इस सूची में कुछ और नाम जोड़े थे लेकिन आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की नाकामियों से खफा संघ ने इस सूची को लेकर कोई पेंच फंसा दिया था। इस पेंच को सुलझाने के लिए मोदी ने नितिन गडकरी से सलाह-मशविरा किया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार और संघ के बीच जब भी कोई मसला फंसता है तो नितिन गडकरी ही संकटमोचक बनकर सामने आते रहे हैं।
उधर बिहार में एनडीए के साथ घर वापसी करने वाले जेडीयू को इस मंत्रिमंडलीय विस्तार और फेरबदल का औपचारिक न्योता भी शायद नहीं मिला। इस पर आरजेडी नेता लालू यादव ने नीतीश कुमार पर चुटकी भी ली। उन्होंने का नीतीश की हालत अब भगोड़े जैसी है।
उधर शिवसेना भी नाराज ही नजर आ रही है। शिवसेना नेता संजय राउत ने इस विस्तार और फेरबदल को खोदा पहाड़ निकली चुहिया बताया।
इससे पहले महाराष्ट्र में एनडीए में दरार भी पड़ चुकी है। किसानों के हितों के लिए काम करने वाले राजनीतिक मोर्चे स्वाभिमानी पक्ष ने एनडीए से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है।
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