बढ़ते दबाव के बाद महाराष्ट्र सरकार का यू-टर्न, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर लागू कड़ा कानून लिया वापस

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया था कि उनकी पार्टी एमईएसएमए कानून को लागू करने की इजाजत नहीं देगी।

फोटो: सोशल मीडिया 
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आईएएनएस

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ महाराष्ट्र आवश्यक सेवाएं रख-रखाव अधिनियम (एमईएसएमए) जैसा सख्त कानून लागू करने के बढ़ते विरोध के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर रोक लगा दी। विधानसभा में घोषणा करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि सदन की भावनाओं के मद्देनजर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर एमईएसएमए नहीं लगाया जाएगा।

इस कानून के तहत हड़ताल पर जाने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान था।

महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने 15 मार्च को इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद राजनीतिक हंगामा शुरू हो गया था। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी शिवसेना ने विपक्ष के साथ मिलकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर लगाए गए एमईएसएमए को वापस लेने की जोरदार मांग की थी।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा इसे एक सख्त कानून करार दिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर अलग-थलग दिखाई दी। उद्धव ठाकरे ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया था कि उनकी पार्टी सरकार को इसे लागू करने की इजाजत नहीं देगी। इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले को तानाशाही की ओर अग्रसर करार दिया था और विधानसभा को बाधित किया था।

पंकजा मुंडे के फैसले ने राज्य के करीब 207,000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा हड़ताल पर एक तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों को लागू करने में मदद करती हैं, जिसमें शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को कुपोषण से बचाने वाली केंद्र की अनिवार्य बाल विकास योजना भी शामिल है।

महाराष्ट्र राज्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समिति के अध्यक्ष एमए पाटिल ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारियों का दर्जा नहीं दिया गया और वे मामूली मानदेय पर कार्य कर रहीं हैं जिसमें से अधिकतर के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है।

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