तय सीमा से कहीं ज्यादा जहरीली गैस छोड़ रहा था अडाणी का थर्मल प्लांट, मंत्रालय ने प्रदूषण की सीमा ही बढ़ा दी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश के 7 थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया था, जिनमें से सिर्फ 2 यूनिट में तय मानकों से बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा था। दिलचस्प ये है कि जिन दो यूनिट में ज्यादा प्रदूषण हो रहा था, वे दोनों गौतम अडाणी की कंपनी अडानी पावर की थीं।
मोदी सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स से होने वाले वायु प्रदूषण की तय सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है। इसी साल 17 मई को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया।
न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’ के अनुसार, केंद्र सरकार ने अब थर्मल पावर प्लांट्स से निकलने वाली जहरीली गैस नाइट्रोजन ऑक्साइड की सीमा 450 एमजी/नॉर्मल क्य़ूबिक मीटर कर दी है। बता दें कि इससे पहले यह सीमा 300 एमजी/नॉर्मल क्य़ूबिक मीटर थी। खास बात ये है कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के इस फैसले का विरोध करने के बावजूद प्रदूषण मानकों को बढ़ा दिया गया।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस बैठक से पहले सीपीसीबी ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) के साथ मिलकर देश के 7 थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया था। उस दौरान इन 7 में से सिर्फ 2 यूनिट में तय मानकों से बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा था। और यहां दिलचस्प ये है कि जिन दो यूनिट में तय मानक से ज्यादा प्रदूषण हो रहा था, वे दोनों ही गौतम अडाणी की कंपनी अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड की थीं।
खबर के अनुसार, सीपीसीबी और सीईए के इस निरीक्षण में सामने आया था कि राजस्थान स्थित अडाणी पावर प्लांट की दोनों यूनिट द्वारा 509 एमजी/नॉर्मल क्य़ूबिक मीटर और 584 एमजी/नॉर्मल क्य़ूबिक मीटर नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़ा जा रहा था, जो कि तय मानक से बहुत ही ज्यादा था। इस निपीक्षण में अन्य 5 पावर प्लांट्स द्वारा तय सीमा के अंदर ही नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़ा जा रहा था।
गौरतलब है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां पैदा करती है और इसकी तय सीमा से ज्यादा मात्रा फेफड़ों की गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इसी गंभीर खतरे को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने 7 दिसंबर, 2015 को देश में थर्मल पावर प्लांट से होने वाले वायु प्रदूषण का मानक 300 एमजी/नॉर्मल क्य़ूबिक मीटर तय किया था। यह मानक सीमा 2003 से 2016 के बीच स्थापित थर्मल पावर प्लांट के लिए तय किया गया था। लेकिन अब इसी मंत्रालय ने वायु प्रदूषण की सीमा को बढ़ा दिया है।
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