भाईचारे की मिसाल! मलेरकोटला के मुस्लिम समुदाय ने स्वर्ण मंदिर में दान किया 33 टन अनाज

स्वर्ण मंदिर लंगर में मलेरकोटला के मुस्लिम समुदाय द्वारा 33 टन अनाज दान में दिए जाने की हर तरह चर्चा हो रही है। पहली बार मुस्लिम समुदाय की और से इस तरह की पहल हुई है। इस समूह का नेतृत्व मलेरकोटला के डॉक्टर नसीर अख्तर ने किया।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ
user

आस मोहम्मद कैफ

स्वर्ण मंदिर लंगर में मलेरकोटला के मुस्लिम समुदाय द्वारा 33 टन अनाज दान में दिए जाने की हर तरह चर्चा है। पहली बार मुस्लिम समुदायों की और से इस तरह की पहल हुई है। मुस्लिम समुदाय के एक समूह ने खुद स्वर्ण मंदिर पहुंचकर कार सेवा की और अनाज़ भरे ट्रकों को स्वर्ण मंदिर को सौंप दिया। आपको बता दें, मलेरकोटला पंजाब के सबसे मुस्लिम बहुल इलाकों में से एक है। इस समूह का नेतृत्व मलेरकोटला के डॉक्टर नसीर अख्तर ने किया। वो पिछले 15 साल से सिख और मुस्लिमों को करीब लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नसीर अख़्तर पंजाब में सिख मुस्लिम साझा फॉउंडेशन चलाते है और सिख मुस्लिम एकता के लिए पंजाब के एक जाने माने चेहरा है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

स्वर्ण मंदिर के लंगर में 33 टन गेंहू दान करने वाले मलेरकोटला के नसीर अख़्तर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान स्वर्ण मंदिर की और से एक अपील जारी की गई थी। सिख समुदाय में इसके लिए मुहिम चल रही थी और अनाज़ जुटाया जा रहा था। नसीर अख़्तर ने कहा कि स्वर्ण मंदिर में बहुत बड़ा लंगर चलता है। लंगर में खाने वाले लोगों से उनका धर्म नही पूछा जाता। मुझे ऐसा लगा कि हमें भी इस काम में सहयोग करना चाहिए। मैंने अपने नज़दीकी लोगों से बात की सब सहमत थे। हम चाहते तो कुछ अमीर लोग मिलकर ऐसा कर सकते थे। मगर मेरा मानना था कि हमें मुस्लिम बहुल गांवों में 5-5 किलो अनाज़ इकठ्ठा करना चाहिए। इससे दोनों समुदाय में एक अच्छा संदेश जाएगा। हमनें 35 दिन तक यह किया और बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला। लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आसपास के गांवों में भी इसकी चर्चा हुई।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

नसीर अख़्तर बताते हैं कि संगरूर(मलेरकोटला का जिला ) के तमाम सिख ज्ञानियों ने बहुत इज्ज़त दी। हमने 33 टन अनाज़ इकट्ठा किया। जब हम यह लेकर जा रहे थे वो हमने स्थानीय प्रतिष्ठित सिखों को बुलाया और उन्होंने हमें रवाना किया। यहां स्थानीय मुस्लिम और सिख समुदाय के लोग बेहद इज्ज़त से देख रहे थे। उसके बाद 8-10 लोग स्वर्ण मंदिर पहुंचे। वहां अकाल तख्त के मुख्य जत्थेदार सरदार हरप्रीत सिंह ने हमारा स्वागत किया। हमारे लिए यह बहुत बड़े सम्मान की बात थी। एक महीने तक गांव गांव जाकर मुहिम चलाकर किए गए इस काम का असर काफ़ी हुआ। उन्होंने हमें बैठाकर खाना खिलाया और हमनें भी वहां ख़िदमत की।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

बता दें, 48 साल के नसीर अख़्तर पिछले 15 साल से रात दिन सिख मुस्लिम इत्तेहाद की कोशिश में जुटे हैं। वो बताते हैं कि " मैंने यह महसूस किया था कि सिखों और मुस्लिमों के बीच काफ़ी ग़लतफहमियां है। इनमें गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को दीवार में चिनवा देने जैसी बातें है। मेरा दिल यह मान नहीं रहा था। मैंने पहले खुद रिसर्च की ,क्लिनिक छोड़ दिया, इतिहास को पढ़ा, 300 साल पुरानी सिखों की किताबें पढ़ी तो समझ में आया कि सिख धर्म तो इस्लाम के बहुत क़रीब है। मुझे समझ में आया कि दोनों के संदेश एक ही तरह के है। मैंने विभिन्न जगहों पर दोनों मजहबों की नजदीकी पर बात करनी शुरू की और इसके लिए मैं पंजाबी की किताबों का हवाला दिया। क़ुरान की आयतों को पंजाबी में समझाया और बताया कि दोनों के सिद्धांत आपस मे बहुत अधिक मिलते हैं। इसके लिए मैंने पंजाबी में किताबें लिखी।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

नसीर अख़्तर मानते हैं कि सिखों और मुस्लिम समुदायों के बीच बहुत अधिक गलतफहमियां है जिन्हें दूर करने के लिए 1947 के ज़ख्म बहुत गहरे है। पंजाब में मुस्लिम मलेरकोटला में सबसे ज्यादा है। यहां की विद्यायक रजिया सुल्ताना पंजाब कैबिनेट में मंत्री है। यहां कहीं और की तुलना मुस्लिम समुदाय मजबूत है। यहां मुस्लिम और सिखों में अच्छा समन्वय है दोनों समुदाय यहां कंधे से कंधे मिलाकर काम करते हैं तो जहां मुसलमान कम है सिख वहां उनके साथ भलाई करते हैं। यही भाईचारा है। अच्छे काम का हमेशा अच्छा नतीजा होता है। दोनों पक्ष के लोग सब समझते है। सहारनपुर में जब मुस्लिम समुदायों ने गुरद्वारे में मस्ज़िद की ज़मीन दे दी तो यहां बहुत तारीफ़ हुई। शाहीन बाग़ में लंगर की भी यहां चर्चा होती रहती थी।

नसीर अख़्तर बताते हैं कि यह सब उन्होंने एक संस्था के बैनर तले किया था । 15 साल पहले उन्होंने ही यह संस्था बनाई थी। नसीर कहते हैं कि हम सिख मुस्लिम एकता के तमाम कार्यक्रम इसी संस्था के बैनर तले करते हैं। यह मुहिम भी इसी संस्था के बैनर के अंतर्गत चलाई गई थी। यही मेरी जिंदगी का मक़सद है। मैं आखिरी दम तक प्यार मोहब्बत के लिए काम करना चाहता हूं। बता दें, नसीर अख़्तर देश भर में हिंदू मुस्लिम समुदाय में बढ़ती दूरी को लेकर भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि दोनों समुदाय के बीच मे मेल मिलाप वाली बातों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia