मशहूर राजनीति शास्त्री क्रिस्टोफ जैफरलॉ ने उठाए गुजरात के विकास मॉडल पर सवाल, कहा, ‘रोजगारविहीन विकास की मिसाल’

गुजरात का विकास मॉडल रोजगारहीन विकास की मिसाल है और गुजरात सरकार की तरफ से बड़ी बड़ी कंपनियों को तमाम तरह की छूट दिएजाने के बावजूद रोजगार पैदा नहीं हुए हैं। यह कहना है क्रिस्टोफ जैफरलॉ का।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गुजरात का विकास मॉडल रोजगारहीन विकास की मिसाल है और गुजरात सरकार की तरफ से बड़ी बड़ी कंपनियों को तमाम तरह की छूट दिए जाने के बावजूद रोजगार पैदा नहीं हुए हैं। यह कहना है मशहूर राजनीतिक शास्त्री क्रिस्टोफ जैफरलॉ का।

दिल्ली में हो रहे एक लिटरेचर फेस्टिवल में क्रिस्टोफ जैफरलॉ ने कहा कि गुजरात मॉडल से निकलने वाले ज्यादातर छोटे और मझोले उद्योगों और इकाइयों से उतने रोजगार नहीं पैदा हुए जितने उनकी क्षमता के मुताबिक होने चाहिए थे। लिट फेस्ट के ‘पॉलिटिकल कंजरवेटिव्स एंड द राइट इन इंडिया’ शीर्षक वाले सेशन में जैफरलॉ ने कहा कि गुजरात के विकास मॉडल में रोजगार सृजन काफी कम हुआ।

क्रिस्टोफ जैफरलॉ जाने माने लेखक और रिसर्चर है। उन्होंने कहा कि, “गुजरात मॉडल रोजगारहीन विकास का एक दिलचस्प उदाहरण है या आप यह कह सकते हैं कि यह न्यूनतम विकास के साथ होने वाले वृद्धि का मामला है।”

उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल में ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से काफी निवेश मिला, जिन्हें सरकार ने सस्ती या मुफ्त जमीनें, सस्ते मजदूर और कामगार और टैक्स में छूट दी। जैफरलॉ का कहना है कि इन कंपनियों ने कारखाने, रिफाइनरियों का निर्माण तो किया, लेकिन इनसे उतनी नौकरियों का सृजन नहीं हुआ, जितनी छोटे और मझोले उद्योग या कारखाने करते।

मशहूर राजनीति शास्त्री क्रिस्टोफ जैफरलॉ ने उठाए गुजरात के विकास मॉडल पर सवाल, कहा, ‘रोजगारविहीन विकास की मिसाल’

उन्होंने कहा कि गुजरात में विकास के शोर के बावजूद गरीबों की हालत में कोई बदलाव नहीं हुआ, और इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसी और की नहीं, बल्कि सिर्फ बीजेपी की ही बनती है। जैफरलॉ ने कहा, “पहले एक तरफ गुजरात में बीजेपी शासन गरीब थे और दिल्ली में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी। लेकिन अब दिल्ली में भी बीजेपी की सरकार है, लेकिन अब भी गुजरात में गरीब हैं और उनकी हालत नहीं बदली है।” उन्होंने कहा कि, “इसलिए यह विश्लेषण का समय है, यह जवाबदेही तय करने का समय है।”

जैफरलॉ ने कहा कि गुजरात में किसानों से उनकी जमीन ले ली गई, इससे उद्योग तो बढ़े, लेकिन प्रदूषण की समस्या भी उभरकर आई। यह ऐसा विकास मॉडल है जो एसएमई यानी छोटे और मझोले उद्योगी की कीमत पर किया गया। जैफरलॉ के मुताबिक आज गुजरात में छोटे और मझोले उद्योगों और कारोबार को बैंकों से मदद नहीं मिल रही।

गुजरात विधानसभा चुनावों में इस बार पूरे जोर और दम के साथ उतरी कांग्रेस ने भी बेरोजगारी को मुद्दा बनाया है और विकास के दावों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस की तरफ से जारी एक वीडियो में कुछ युवाओं की रोजगार और नौकरी को लेकर चिंता भी उजागर की गई है।

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Published: 26 Nov 2017, 2:18 PM