10 फीसदी से ज्यादा विकास दर भी ले आएं मोदी, तो भी नहीं छू पाएंगे यूपीए शासन की वृद्धि दर : मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि अगर मोदी सरकार अपने पांचवे साल में 10 फीसदी की विकास दर भी ले आए, तो भी यूपीए शासन के दौर की वृद्धि को छूना मुश्किल होगा। मनमोहन सिंह शनिवार को सूरत में थे
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि देश की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौट आई है। उन्होंने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही की 6.3 फीसदी विकास दर में उन छोटे और मझोले उद्योगों और असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया है जिन्होंने नोटबंदी और हड़बड़ी में लागू किए गए जीएसटी की सबसे ज्यादा मार झेली है।
गुजरात के टेक्सटाइल हब सूरत में लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने जीएसटी को कर आतंकवाद यानी टैक्स टेररिज्म करार देते हुए कहा कि नोटबंदी के साथ मिलकर जीएसटी ने सूरत में 31,000 से ज्यादा नौकरियां छीन ली हैं। उन्होंने आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फैसले से गरीबों को हुए दर्द को समझ नहीं पाए। मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी दावा करते हैं कि वह गुजरात और गरीबों को 'किसी दूसरे से ज्यादा' समझते हैं, तो यह कैसे हुआ कि 'वह अपने फैसले से होने वाले गरीबों के दर्द को कभी समझ नहीं पाए।'
सूरत टेक्सटाइल हब के जज्बातों और जीएसटी लागू होने के खिलाफ लाखों टेक्सटाइल व्यापारियों का सड़क पर उतरकर विरोध करने पर मनमोहन सिंह ने कहा कि, "सूरत ने एनडीए सरकार के इस अन्याय के खिलाफ भारत के विरोध को आवाज दी है। आखिरकार आप दो महान आत्माओं, महात्मा गांधी और सरदार बल्लभभाई पटेल की धरती के हैं।"
उन्होंने कहा, "दांडी आपके पास ही है, जहां से महात्मा गांधी ने नमक पर अन्यायपूर्ण ब्रिटिश कर के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया था। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना आपके खून में है, जिसे आपने जीएसटी खिलाफ एक बार फिर दिखाया है।"
मनमोहन सिंह ने जीडीपी के आंकड़े 6.3 फीसदी आने का स्वागत करते हुए कहा कि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है। उन्होंने कहा कि, “यह कहना कि पिछली पांच तिमाहियों से जारी गिरावट के रुख में बदलाव आ गया है, थोड़ा जल्दबाजी होगी। कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि सीएसओ ने जीडीपी के आंकड़े इकट्ठा करते वक्त इसमें नोटबंदी और जीएसटी की मार से बेहाल असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया है, जबकि कुल अर्थव्यवस्था में इनकी हिस्सेदारी 30 फीसदी है।” उन्होंने मशहूर अर्थशास्त्री गोविंद राव की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास को कार्पोरेट सेक्टर के वित्तीय नतीजों के आधार पर आंकना सबसे बड़ी भूल है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, “अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अब भी कुछ बड़ी चिंताए जस की तस हैं। कृषि क्षेत्र की विकास दर पिछली तिमाही के 2.3 फीसदी से घटकर 1.7 फीसदी पहुंच गई है, जबकि साल दर साल आधार पर तो और भी कम है।” उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां निर्माण क्षेत्र में कम हुई हैं। मनमोहन सिंह मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने देश के कारोबार की कमर तोड़ दी है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, “जीडीपी में एक फीसदी गिरावट का अर्थ होता है कि देश को 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस कमी और गिरावट के मानवीय नुकसान और प्रभाव को देखना जरूरी है, नौकरियां जा रही हैं, युवाओं के लिए अवसर खत्म हो गए, कारोबार बंद हो गए, उद्योगों की हालत खराब हो गई, हर तरफ निराशा का माहौल है।”
उन्होंने कहा कि, “ऐसी हालत तब है जब सरकार ने प्रोजेक्ट्स में सरकारी खर्चों को बढाया है, और नतीजा यह निकला कि वित्तीय घाटा कुल 546,432 करोड़ रुपए के 96.1 फीसदी पर पहुंच चुका है।“ मनमोहन सिंह ने कहा कि, “इसका अर्थ यह है कि कंस्ट्रक्शन यानी निर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र ने बेहद कम खर्च किया है। इसी सबके चलते निष्कर्ष यही निकलता है कि अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता बरकरार है।”
मनमोहन सिंह ने कहा कि आरबीआई ने 2017-18 की विकास दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जोकि मौजूदा हालात में मुश्किल जान पड़ता है। फिर भी अगर यह अनुमान सही निकला तो भी मोदी जी के 4 साल में औसत विकास दर 7.1 फीसदी ही होगी।” उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के 10 साल के शासन की विकास दर की बराबरी करने के लिए मोदी जी के आखिरी साल यानी पांचवे साल में 10.6 फीसदी की विकास दर होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो इससे मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी।"
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