गुजरात चुनाव: पहले चरण के मतदान से ठीक पहले बीजेपी सांसद का इस्तीफा, पीएम मोदी पर उठाए गंभीर सवाल
महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया से बीजेपी सांसद नाना पटोले ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है। गुजरात चुनाव के लिए प्रथम चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले पटोले का इस्तीफा बीजेपी के लिए बड़ा झटका है।
बीजेपी नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से नाराज बीजेपी सांसद नाना पटोले ने 8 दिसंबर को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पटोले का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब एक दिन बाद गुजरात में पहले चरण का मतदान होना है। महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया से सांसद रहे नाना पटोले का इस्तीफा बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पटोले ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते। उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैये की खुलकर आलोचना की थी।
इस्तीफे के बाद प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए पटोले ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के कार्यालय और बीजेपी नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। महाजन को भेजे अपने संक्षिप्त पत्र में पटोले ने लिखा है, "आदरणीय मैडम, मैं सदन की सदस्यता से इस्तीफा देता हूं, जो आज से प्रभावी होगा।”
पार्टी और संसद से इस्तीफा देने के बाद पटोले ने दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश से मुलाकात की। ऐसे में उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों पटोले की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल से भी मुलाकात हुई थी। बताया जा रहा है कि पटोले पिछले लंबे समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे।
पीएम मोदी के 2014 में पद संभालने के बाद बीजेपी और लोकसभा से इस्तीफा देने वाले नाना पटोले पहले सांसद हैं। इससे पहले उन्होंने एक जनसभा में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि प्रधानमंत्री को सवाल पूछा जाना पसंद नहीं है और वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वह "पार्टी इसलिए छोड़ रहे हैं, क्योंकि वह काफी दुखी हैं और पार्टी द्वारा खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।"
लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने मीडिया से कहा, "यह सरकार लोगों को आश्वासन देकर, विशेषकर किसानों को आश्वासन देकर सत्ता में आई थी। इसने आश्वासन दिया था कि एम.एस. स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेगी, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो। लेकिन इसने पहला काम यह किया कि सर्वोच्च न्यायालय को कहा कि वे उन सिफारिशों को लागू करने नहीं जा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में देश में किसानों की आत्महत्या में 43 फीसदी की वृद्धि हुई है और किसान समुदाय के लिए एक भी कल्याणकारी उपाय लागू नहीं किया गया।
पटोले ने कहा, "बेरोजगारी की स्थिति बहुत गंभीर है। सरकार ने युवाओं को आश्वासन दिया था कि हर साल दो करोड़ नई नौकरियां पैदा की जाएंगी, लेकिन नई नौकरियों को पैदा करने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया, जबकि सरकारी नौकरियों में भी 10 फीसदी की कटौती कर दी गई।" उन्होंने कहा, "आर्थिक स्थिति खतरनाक स्तर पर है। पिछले साल की गई नोटबंदी के बाद करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं और यहां तक कि निजी बैंक भी लोगों को नौकरी से निकाल रहे हैं। इसी के साथ जीएसटी ने लगभग छोटे उद्यमों को मार डाला है।" यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस मामले को लोकसभा में क्यों नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोगों को लोकसभा में बोलने की अनुमति नहीं दी जाती।
किसान समुदाय की शिकायतों को लेकर विदर्भ के नेता ने कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर कई बार पीएम मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। पटोले ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन वह 'किसी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल' में शामिल होने पर विचार करेंगे। पटोले के इस्तीफे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि वह सही वक्त पर इस पर कोई टिप्पणी करेंगे।
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